छात्रावास का भी नहीं हो रहा है उपयोग: रजलापाठ हाईस्कूल के बगल में एक छात्रावास के लिए भवन भी बनाया गया है। लेकिन जिस स्थान में स्कूल भवन स्थित है वहां किसी भी प्रकार का कोई बुनियादी सुविधा नहीं है जिसके कारण इस छात्रावास भवन का कोई उपयोग ही नहीं किया जा रहा है। रजला पाठ स्कूल के पास ना तो पानी की कोई सुविधा है और ना ही बिजली है, यहां तक स्कूल तक पंहुचने के लिए आज तक सड़क भी नहीं बन पाया है। एैसे ही पहाड़ी रास्ता का उपयोग कर इस स्कूल में अध्ययन करने के लिए छात्र-छात्राएं पंहुचती हैं।
बोरिंग गाड़ी रास्ते से ही हो गया था वापस : रजलापाठ हाईस्कूल में पानी की समस्या को देखते हुए यहां के शाला प्रबंधन समिति के द्वारा पेयजल की परेशानी को देखते हुए कई बार उच्चाधिकारियों से मांग की गई थी। उनके मांग करने पर स्कूल के पास एक बोरिंग स्वीकृत भी हो गया था।
पानी के अभाव में नहीं हो रहा शौचालय का उपयोग : रजलापाठ के मिडि़ल स्कूल का हाईस्कूल में उन्नयन होने पर यहां स्कूल भवन बनाया गया है। स्कूल भवन बनाने के समय में ही यहां छात्र और छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय का निर्माण भी कराया गया है। लेकिन स्कूल के शौचालय का उपयोग यहां के छात्र-छात्राओं के द्वारा नहीं किया जाता है। यहां के छात्र-छात्राओं ने बताया कि स्कूल में पानी का अभाव होने के कारण ही स्कूल में बने शौचालय का उपयोग नहीं करते हैं। शौचालय का उपयोग नहीं होने के कारण सबसे ज्यादा परेशानी यहां अध्ययनरत छात्राओं को उठाना पड़ता है।
बोरिंग गाड़ी रास्ते से ही हो गया था वापस : रजलापाठ हाईस्कूल में पानी की समस्या को देखते हुए यहां के शाला प्रबंधन समिति के द्वारा पेयजल की परेशानी को देखते हुए कई बार उच्चाधिकारियों से मांग की गई थी। उनके मांग करने पर स्कूल के पास एक बोरिंग स्वीकृत भी हो गया था।
पानी के अभाव में नहीं हो रहा शौचालय का उपयोग : रजलापाठ के मिडि़ल स्कूल का हाईस्कूल में उन्नयन होने पर यहां स्कूल भवन बनाया गया है। स्कूल भवन बनाने के समय में ही यहां छात्र और छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय का निर्माण भी कराया गया है। लेकिन स्कूल के शौचालय का उपयोग यहां के छात्र-छात्राओं के द्वारा नहीं किया जाता है। यहां के छात्र-छात्राओं ने बताया कि स्कूल में पानी का अभाव होने के कारण ही स्कूल में बने शौचालय का उपयोग नहीं करते हैं। शौचालय का उपयोग नहीं होने के कारण सबसे ज्यादा परेशानी यहां अध्ययनरत छात्राओं को उठाना पड़ता है।