scriptजिले में 27 प्रतिशत है कुपोषण का दर, 18 हजार 142 बच्चे अति या मध्यम कुपोषित | Malnutrition rate in the district is 27 percent, 18 thousand 142 child | Patrika News

जिले में 27 प्रतिशत है कुपोषण का दर, 18 हजार 142 बच्चे अति या मध्यम कुपोषित

locationजशपुर नगरPublished: Sep 19, 2019 11:56:18 pm

Submitted by:

Saurabh Tiwari

निजी प्ले स्कूलों की तर्ज पर नर्सरी के लिए बनाए जाएंगे जिले में मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र

जिले में 27 प्रतिशत है कुपोषण का दर, 18 हजार 142 बच्चे अति या मध्यम कुपोषित

जिले में 27 प्रतिशत है कुपोषण का दर, 18 हजार 142 बच्चे अति या मध्यम कुपोषित

जशपुरनगर. कुपोषण से लड़ाई गरीबों की एक बड़ी लड़ाई है। खाने के लिए मजदूरी कर दो जून की रोटी कमाने वाले गरीबों के बच्चे पोषण की कमी की वजह से कुपोषण का शिकार हो रहे हैं और कम उम्र में ही वे गंभीर बीमारियों के शिकार हो जाते हैं या फिर शारीरिक और मानसिक विकास संपूर्ण रूप से नहीं हो पाता। इस लड़ाई के लिए शासन स्तर पर करोड़ों, अरबों रुपए सालान खर्च किया जाता है इसके बावजूद कुपोषण अब भी गरीबों पर हावी है। इससे लडऩे के लिए शासन की ओर से महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा योजनाओं का संचालन किया जाता है। शासकीय योजनाओं को मूर्त रूप देने के साथ ही नवाचार के माध्यम से कुपोषण से लडऩे की तैयारी में हैं जिले में नवपदस्थ जिला कार्यक्रम अधिकारी अजय शर्मा। धूर नक्सली क्षेत्र बस्तर संभाग के कांकेर जिला से जशपुर आने के बाद उन्होंने चर्चा करते हुए बताया कि कुपोषण कम करना उनकी पहली प्राथमिकता में शामिल है। उन्होंने बताया कि जशपुर जिला में २७ प्रतिशत कुपोषण की दर है। जिसमें गंभीर और मध्यम कुपोषित बच्चों की संख्या १८१४२ है। इस आंकड़े को कम करने के लिए छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित कर बदलाव लाने की कोशिश की जाएगी।
स्वच्छता कार्नर बनाने की चल रही तैयारी: ंबच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए आंगनबाडिय़ों में स्वच्छता कार्नर बनाने की भी तैयारी है। डीपीओ अजय शर्मा ने बताया कि स्वच्छता को जीवन में शािमल करना एक नियमित व्यवहार में शामिल करने जैसा है। स्वच्छ रहने के लिए आंगनबाडिय़ों के बच्चों को हाथ धोने, कंघी करने और सफाई के बारे में बताया जाएगा। उन्होंने कहा कि बच्चे गंदे हाथों से ही नाश्ता कर लेते हैं इसलिए इसकी सीख आंगनबाड़ी से ही देना जरूरी है।
मार्च २०२० तक का लक्ष्य किया निर्धारित: कुपोषण पर खास चर्चा करते हुए डीपीओ शर्मा ने कहा कि मेरी कोशिश है कि मार्च २०२० तक जिले के १० आंगनबाड़ी केंद्रों को कुपोषण मुक्त करना है। उन्होंने बताया कि जिले के ४ हजार ३०२ चलित आंगनबाडिय़ों में एक भी आंगनबाड़ी ऐसा नहीं है जहां एक भी बच्चे कुपोषण से बाहर हैं। सभी केंद्रों में कुछ न कुछ बच्चे कुपोषण के दायरे में जरूर हैं। ऐसे में लक्ष्य है कि १० आंगनबाडिय़ों को शुरू आत में ० कुपोषित केंद्र बनाया जाएगा।

सरकारी प्ले स्कूल की है योजना: जिला कार्यक्रम अधिकारी अजय शर्मा ने बताया जिस प्रकार निजी स्कूलों नर्सरी कक्षा के बच्चे सुसज्जित डे्रस पहनकर प्ले स्कूलों में जाते हैं, उनके गले में आई कार्ड, पानी का थर्मस लटकते रहते हैं। उन्हें शुरू से ही एक अनुशासन की सीख दी जाती है। कुछ ऐसा ही प्रयास शासकीय आंगनबाडिय़ों में भी शुरू किए जाने की योजना मेरे द्वारा बनाई गई है। इसके लिए शुरूआत में ५ आंगनबाड़ी केद्रों को चिन्हांकित कर मॉडल आंगनबाड़ी बनाया जाएगा।
पोषण बाड़ी योजना लागू करने की तैयारी: कुपोषण से लडऩे के लिए पोषणयुक्त भोजना करना आवश्यक है। बिना पोषक पदार्थ के कुपोषण से नहीं लड़ा जा सकता है। इसलिए डीपीओ अजय शर्मा की आंगनबाडिय़ों में पोषण बाड़ी योजना लागू करने की योजना है। उन्होंने बताया कि हर आंगनबाड़ी जहां उपयुक्त स्थान हो वहां हरी सब्जी, पालक आदि के साथ ही केला और पपीता उगाया जाएगा। और इससे आंगनबाड़ी में ही स्वादिष्ट पोषक सब्जियां बनाकर बच्चों को खिलाया जाएगा जिससे उनके स्वास्थ्य में सुधार होगा।
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