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नहीं बदले हालात, इस शिक्षण सत्र भी जर्जर स्कूल में पढ़ाई करेंगे नौनिहाल

locationजशपुर नगरPublished: Jun 06, 2019 12:53:25 pm

Submitted by:

Murari Soni

जिले में संचालित हैं २२६१ शासकीय प्राथमिक, माध्यमिक, हाईस्कूल, हायर सेकेण्डरी स्कूल

No change in circumstances, this teaching session will also be done in

नहीं बदले हालात, इस शिक्षण सत्र भी जर्जर स्कूल में पढ़ाई करेंगे नौनिहाल

जशपुरनगर. जिले में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शासन प्रशासन के द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन जिले भर में जर्जर हो चुके स्कूल और भवन विहीन स्कूलों की ओर कोई ध्यान नहीं दिए जाने के कारण जिले के छात्र-छात्राओं को जर्जर भवन में या फिर उधार के भवन में अध्ययन अध्यापन करना पड़ेगा। जिले के ११ भवन विहीन स्कूलों को अब तक अपना भवन नसीब नहीं हो सका है। जिसके कारण इस शिक्षा सत्र में भी छात्र-छात्राओं को उधार के स्कूल भवन में ही अध्ययन अध्यापन करने के लिए मजबुर होना पड़ेगा। विभाग की उदासिनता के कारण जिले के कई स्कूल जर्जर हो चुके हैं तो कई स्कूल भवन विहीन है, वहीं कहीं कहीं अतिरिक्त कक्षाओं में स्कूल का संचालन किया जा रहा है। जशपुर जिले में २२६१ शासकीय प्राथमिक, माध्यमिक, हाईस्कूल, हायर सेकेण्डरी स्कूल संचालित हैं। इन स्कूलों में ११ स्कूल भवन विहीन हैं।
इस वर्ष भी इस नए शिक्षा सत्र में भी जिले के ११ स्कूल भवनयुक्त नहीं हो पाया है। इन स्कूल के छात्र-छात्राओं को या तो अतिरिक्त कक्ष में ही पढऩे को मजबूर होना पड़ेगा या फिर यहां के छात्रों को प्राथमिक शाला या अन्य शालाओं के कक्षाओं में बैठकर अध्ययन करना पड़ेगा। जिले में कुल २२६७ शासकीय स्कूल संचालित किए जाते हैं, जिसमें १६५१ प्राथमिक शाला, ४६७ माध्यमिक शाला, ७२ हाईस्कूल एवं ७७ हायर सेकेण्डरी स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। जिसमें से २ प्राथमिक शाला भवन विहीन हैं एवं १३९ प्राथमिक शाला भवन जर्जर हो चुके हैं। ४६७ माध्यमिक शाला भवनों में ३९ शाला भवन जर्जर हैं। इसी तरह जिले में संचालित ७२ हाईस्कूलों में २ हाई स्कूल भवन जर्जर हो चुके हैं और ५ हाईस्कूल भवन विहीन हैं। वहीं ७७ हायर सेकेण्डरी स्कूल में ४ भवन विहीन हैं और ४ भवन जर्जर हो चुका है। जर्जर हो चुके स्कूलों में कई स्कूलों के खपरैल गिर रहे हैं, तो कई स्कूलों के छज्जा में सरिया दिख रहा है। तो कहीं कहीं बारिश के दिनों में स्कूलों के छतों से पानी भी टपकना शुरू हो जाता है। इन जर्जर स्कूलों में अधिकांश स्कूलों में बच्चों व शिक्षकों को जान जोखिम में डालकर बच्चों को पढ़ाना पड़ रहा है। वहीं कई स्कूल किराए की भवन पर संचालित हो रहा हैं। लेकिन विडंबना की बात तो यह है कि हर साल जर्जर स्कूलों के प्रधान पाठकों के द्वारा विकासखंड शिक्षा अधिकारी व जनपद पंचायत को पत्र लिख कर मर मत की मांग की जाती है। पर इस पर विभागीय अधिकारी ध्यान नहीं देते हैं। जिसका खामियाजा स्कूली विद्यार्थियों को भुगतना पड़ता है।

२२ स्कूल भवन तोडऩे की स्थिति में : जिले में १८४ स्कूलों की स्थिति जर्जर ही है। वहीं २२ स्कूल भवनों की स्थिति यह है कि इन भवनों में स्कूल संचालित ही नहीं किया जा सकता है। जिले के २२ स्कूल अब पूरी तरह से तोडऩे योग्य हो गए हैं। वहीं शिक्षा विभाग के द्वारा इस वर्ष भी जिले के १८४ स्कूलों की मर मत नहीं करवाई गई है। जिसके कारण १८४ स्कूल के छात्र-छात्राओं को मजबूरी में जर्जर भवनों में अध्ययन अध्यापन करना पड़ेगा। वहीं २२ स्कूल इस नए शैक्षणिक सत्र से उधार के भवन में या फिर अतरिक्त कक्ष में संचालित किए जाएंगे।
प्रस्ताव पर नहीं होता है विचार : जिले के जर्जर स्कुलों की हालात सुधारने के लिए शिक्षा विभाग व जनपद के माध्यम से हर साल स्कूलों की मर मत के लिए जिला कार्यालय को प्रस्ताव भेजा जाना बताया जाता है। पर उन प्रस्तावों पर विचार नहीं किया जाता हैं। जिसके चलत इन स्कूलों के मर मत के लिए स्वीकृति नहीं मिल पाती है और जर्जर भवन में ही मासूमों को बैठा कर पढऩे की मजबूरी बन जाती है।
& अभी मैं छुट्टी में हूं गांव में इसलिए अभी आप से बात नहीं कर सकता हूं।
बीआर ध्रुव, जिला शिक्षा अधिकारी जशपुर

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