पारंपरिक राखियों का क्रेज बरकरार: दुकानों कई डिजाइनों की राखियां तो उपलब्ध हैं, लेकिन फिर भी रेशम की पारंपरिक डोर अन्य राखियों पर भारी पड़ती नजर आ रही है। बहनों की पहली पसंद अब भी रेशम की डोर ही है। बड़ी उम्र की बहनें अपने उम्रदराज भाइयों के लिए आज भी वही पारंपरिक रेशमी धागे की राखियों को पंसद करती है। इस संबंध में तेली टोली निवासी प्रेमलता साहू का कहना है कि रेशमी डोर की पारंपरिक राखियों का स्थान आज भी कोई दूसरी राखी नही ले सकती है। बताया जाता है कि रेशमी धागा को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।