scriptभवन की हालत जर्जर किराए के मकान में संचालित हो रहा घटगांव का सरकारी स्कूल | The condition of the building is the government school of the incident | Patrika News

भवन की हालत जर्जर किराए के मकान में संचालित हो रहा घटगांव का सरकारी स्कूल

locationजशपुर नगरPublished: Mar 14, 2019 11:06:51 am

Submitted by:

BRIJESH YADAV

एक माह का किराया एक शिक्षिका तो दूसरे माह का दूसरी शिक्षिका कर रही है खर्च, 2017 में स्कूल मरम्मत के नाम 45 हजार रुपए आए, पर इतनी राशि में स्कूल की छत, खिडक़ी व दरवाजे नहीं बन सकते तो वापस कर दी राशि

The condition of the building is the government school of the incident

भवन की हालत जर्जर किराए के मकान में संचालित हो रहा घटगांव का सरकारी स्कूल

जशपुरनगर. शासकीय स्कूल का भवन जर्जर हो तो उसकी मरम्मत की जिम्मेदारी शिक्षा विभाग की है। जिला मुख्यालय के नजदीक मनोरा विकासखंड के ग्राम पंचायत खोंगा गांव के घटगांव प्राथमिक स्कूल के शिक्षक स्कूल की जर्जर स्थिति से दो सालों से परेशान हैं, इस स्कूल का भवन इतना जर्जर हो चुका है कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है, जिसे देखते हुए शिक्षक किराए का मकान लेकर स्कूल का संचालन कर रहे हैं। यही नहीं शिक्षक अपनी जेब से ही हर महीना 200 रुपए मकान का किराया भी दे रहे हैं। शिक्षकों ने कई बार इस स्कूल की जर्जर स्थिति के बारे में शिक्षा विभाग को अवगत कराया है। पर आज तक उसका समाधान नहीं हो सका है। इस ओर शिक्षा विभाग का कोई ध्यान नहीं है। स्कूल के जर्जर भवन की मरम्मत के संबंध में दो सालों में कई बार आवेदन भी दिया गया है।
घटगांव प्राथमिक शाला में कुल 8 बच्चे पढ़ते हैं। जिसमे से स्कूल में दो शिक्षक हैं और दोनों शिक्षक अपने वेतन से हर महीने 200 रुपए मकान का किराया देते हैं। जिले के सबसे पिछड़ा ब्लॉक मनोरा है, चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो या अन्य कोई क्षेत्र। ब्लॉक में जितना विकास होना था, वह नहीं हो पाया है। घटगांव के स्कूल को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले के दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता कैसी है। इस बारे में स्क्ूल के शिक्षको के द्वारा बार-बार शिक्षा विभाग को अवगत कराया जा रहा है, उसके बाद भी कोई समाधान नहीं निकल सका है। यह स्कूल मनोरा विकासखंड मुख्यालय से महज 3 या 4 किलोमीटर की दूरी में है। बताया जाता है कि 2017 में घटगांव प्राथमिक शाला के लिए 45 हजार रुपए आए थे, लेकिन शिक्षकों का कहना है कि इतनी राशि में स्कूल की छत, खिडक़ी व दरवाजे नहीं बन सकते हैं। जिसके बाद यह राशि वापस कर दी गई। पर उसके बाद भी आज तक स्कूल भवन की मरम्मत और सुधार के लिए कोई पहल विभाग द्वारा नहीं की गई।
स्कूल में पदस्थ शिक्षिका रजनी केरकेट्टा व मिनी टोप्पो का कहना है कि हम दोनों मिलकर स्कूल भवन का किराया दो सालों से देती आ रही हैं। एक महीना का रजनी व एक महिना का मिनी किराया दे रही हैं। यही सिलसिला चलता आ रहा है।

हर साल भेज रहे मरम्म्त की प्रस्ताव : जिले के जर्जर स्कुलों की हालात सुधारने के लिए शिक्षा विभाग व जनपद के माध्यम से हर साल स्कूलों की मरम्मत के लिए जिला कार्यालय को प्रस्ताव भेजा जाना बताया जाता है। पर उन प्रस्तावों पर विचार नहीं किया जाता हैं। जिसके चलते जर्जर भवन में ही मासूमों को बैठा कर पढऩे की मजबूरी बन जाती है। ग्रामीणों ने भी कई बार इस समस्या के प्रति जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों को अवगत कराया गया है। पर अब तक नतीजा सिफर ही रहा है। वहीं विभागीय उदासीनता के कारण अब तक जिले के जर्जर भवनों की मरम्मत नहीं हो पाई है।
१०४४ स्कूल भवनों में नहीं है बिजली : जिले में संचालित स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान लाने के लिए विभाग गंभीर नहीं दिखाई देता है। समय- समय पर अधिकारियों के द्वारा जिले के स्कूलों में औचक निरिक्षण किया जाता है और इस निरिक्षण के दौरान स्कूलों में अनुपस्थित पाए जाने वाले शिक्षको पर तो तत्काल कार्रवाई कर उन्हें दंडित कर दिया जाता है। लेकिन निरिक्षण में पंहुचने वाले अधिकारियों को स्कूल कमी दिखाई नहीं देती है और उन्हें पूरा करने में भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई जाती है। जिसके कारण ही कई स्कूलों की स्थिति बदहाल हो चुकी हैं। जिले में संचालित २२६१ स्कूलों में से मात्र १२०१ स्कूलों में विद्युत की व्यवस्था की गई है। वहीं १०४४ स्कूल अभी तक विद्युत विहीन हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो