अस्पताल से जाना हो सकता है घातक: स्वास्थ्य के बारे में चिकित्सक बेहतर जानते हैं। मरीज को कब तक अस्पताल में भर्ती रखना है। डिस्चार्ज करने के बाद कितने दिनों के लिए कौन सी दवाई देनी है, जिससे मरीज पूरी तरह रिकवर हो सके, इसका पता चिकित्सकों को रहता है। पर अस्पताल से चले जाने के बाद मरीजों को यह जानकारी नहीं रहती है कि उसके स्वास्थ्य के लिए अभी कौन सी दवाई जरूरी है। दवाई कितने दिनों तक लेनी है। इसके अभाव में बाद में मरीज का स्वास्थ्य और बिगड़ जाता है।
अस्पताल में मौजूद गार्ड भी नहीं देते ध्यान : जिला अस्पताल में सुरक्षा की दृष्टि से नगर सैनिको की ड्युटी लगाई गई है। ये नगर सैनिको को काम अस्पताल में आने जाने वालों की निगरानी करना है। लेकिन प्राय: देखा जाता है कि नगर सैनिको के द्वारा अपने वाहन लेकर आने वाले लोगों की गाड़ी को पार्किंग कराने में लगे रहते हैं और हमेशा वाहनों के आसपास ही नजर आते हैं। जबकी जिला अस्पताल में इंट्री करने के लिए दो गेट बने हुए हैं, जिसमें से एक गेट को रात होते ही सुरक्षा की दृष्टि से बंद कर दिया जाता। एक गेट जो खुला रहता है उसमें भी नगर सैनिको की तैनाती नहीं रहती है। पूर्व में एक दो बार जिला अस्पताल में हंगामा होने के बाद ही यहां नगर सैनिको की ड्यूटी लगाई गई है।
अप्रैल से सितंबर तक में 150 भर्ती मरीज लामा हुए हैं। डॉक्टर की सलाह के बगैर अस्पताल से जाना मरीजों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। मरीज पूरी तरह डिस्चार्ज होकर एवं डॉक्टर की सलाह पर ही अस्पताल से जाएं।
डॉ. अनुरंजन टोप्पो, आरएमओ जिला अस्पताल