जशपुर के एसडीओपी राजेन्द्र सिंह परिहार ने बताया कि दुर्घटना में मृत दोनों युवक हादसे के ठीक पहले घूमते-घूमते पुटुकेला नदी के उस किनारे पर पहुंच गए थे, जहां मृत्यु होने पर दाह संस्कार किया जाता है। यहां उनके 2 और साथी भी साथ में थे। इन नवयुवकों ने यहां पर काफी देर तक मस्ती की और मस्ती के दौरान उन्होंने उसी जगह पर चिता तैयार करने के बाद दोनो ने माचिस से चिता जलाई। मस्ती के बाद जब वे वापस घर लौट रहे थे तभी सेन्द्री मुंडा के पास उनकी कार सड़क के किनारे स्थित एक सेमर के पेड़ से टकरा गई।
शोक में डूबा गांव
दुर्घटना में मौत के बाद बच्चों के शव गांव लाए गए तो हर कोई शोक में डूब गया। लेकिन जब गांव वालों को चिता सजाने और उसमें आग लगाने की जानकारी मिली तो सभी के लिए आश्चर्य और चर्चा का विषय बन गया। गांव के श्मशान में नदी के किनारे ठीक उसी जगह पर दोनो बच्चों की चिता सजाई गई और उसी जगह पर उनका अंतिम संस्कार किया गया।