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उपचुनाव में BJP की ऐतिहासिक जीत, सपा प्रत्याशी हार की डर से वोटिंग के पहले ही मैदान से हटी

locationजौनपुरPublished: Sep 15, 2018 09:13:02 pm

बीजेपी की कविता वर्मा निर्विरोध जीतीं जौनपुर की इस सीट का उपचुनाव।

Jaunpur Suitha Kala By Election

जौनपुर सुईथा कला उपचुनाव

जौनपुर. सुईथाकला ब्लाक प्रमुख की कुर्सी आखिरकार भाजपा की झोली में आ ही गई। शनिवार को हुए चुनाव में भाजपा समर्थित प्रत्याशी कविता वर्मा निर्विरोध ब्लाक प्रमुख चुनी गईं।। इससे पूर्व इस ब्लाक पर सपा की मिथिलेश यादव काबिज हुई थीं, लेकिन भाजपा की सरकार बनने के बाद बीते 16 अप्रैल को भाजपा नेताओं के सहयोग से कविता वर्मा ने अविश्वास लाकर उन्हे पद विहीन कर दिया था। इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका बदलापुर के विधायक रमेश मिश्रा ने निभाई थी। हलांकि इस उपचुनाव के लिए तीन प्रत्याशियों ने पर्चा दाखिल किया था। जिसमें शिव प्रसाद यादव ने गुरूवार को पर्चा उठा लिया था। चुनाव से पूर्व ही सपा प्रत्याशी प्रेमशीला ने अपना नामाकंन पत्र वापस ले लिया।
सुइथाकलां विकास खंड में सपा समर्थित प्रत्याशी प्रेमशीला यादव ने शुक्रवार को अंतिम समय में पर्चा उठा लिया। इसके बाद भाजपा समर्थित प्रत्याशी कविता वर्मा का निर्विरोध प्रमुख बनना तय हो गया था। उक्त पद पर कब्जे के लिए बीते कई दिनों से खासी रस्साकशी चल रही थी। बहरहाल विपक्षी उम्मीदवार के पर्चा वापसी के साथ ही समर्थकों ने मिठाइयां बांटकर जश्न मना लिया था।
बताते चलें कि सुइथाकलां में प्रमुख रहे मिथिलेश यादव के खिलाफ बीते 16 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव आने की वजह से यह पद रिक्त चल रहा था। यह प्रस्ताव पूर्व जिला पंचायत सदस्य राकेश वर्मा की पत्नी कविता वर्मा की अगुवाई में लाया गया था। श्रीमती वर्मा सवायन के वार्ड संख्या 23 से क्षेत्र पंचायत सदस्य हैं तथा उन्हें भाजपा का समर्थन प्राप्त था। उक्त पद के लिए 15 सितंबर को प्रस्तावित चुनाव में चार लोगों के नामांकन पत्र खरीदने की वजह से आसार थे कि लड़ाई कठिन हो सकती है, किंतु गुरुवार को दो लोगों ने अपना नामांकन ही नहीं किया।
इसमें निषाद पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव डॉ सूर्यभान यादव के चाचा शिव प्रसाद यादव काफी मजबूत दावेदार माने जा रहे थे। बीते चुनाव में 32 वोट हासिल कर ये दूसरे स्थान पर रहे थे। उधर सपा समर्थित प्रत्याशी प्रेमशीला यादव ने भी अप्रत्याशित ढंग से शुक्रवार को अंतिम समय में अपना नाम वापस ले लिया था। इसके बाद मैदान में अकेली कविता वर्मा बचीं जिससे उनका चयन तय माना जा रहा था। बस औपचारिक घोषणा ही बाकी थी। शनिवार को जैसे ही घोषणा हुई समर्थकों में जोश भर गया। पूरे चुनाव में हार-जीत का अंतर स्थापित करने में व्यवसायी इंद्र बहादुर सिंह ने भी महती भूमिका अदा की।
By Javed Ahmad

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