प्रदेश स्तर से लेकर जनपद स्तर पर विगत कई दशकों से सहकारी समितियों पर वर्तमान में सपा नेताओं का ही कब्जा है। शिवपाल सिह यादव वर्तमान में प्रदेश सहकारी ग्राम्य विकास बैंक के चैयरमैन हैं। उनके पुत्र आदित्य यादव प्रदेश कोऑपरेटिव फेडरेशन के अध्यक्ष हैं। जनपद में जिला सहकारी बैंक से लेकर पैक्स तक सपा समर्थकों का वर्चस्व है।
प्रारंभिक समितियां (पैक्स) अपने कार्य क्षेत्र के किसानों को खाद, बीज, कीटनाशक, कृषि यंत्र आदि के लिए ऋण उपलब्ध कराती हैं। सरकारी धान और गेहूं खरीद में भी प्रारंभिक समितियों का लक्ष्य लगभग 40 फीसद रहता है। जिलास्तरीय समितियां बैंक के साथ प्रारंभिक समितियों को ऋण उपलब्ध कराती हैं।
सपा के एकाधिकार वाली इन सहकारी समितियों में अगले वर्ष होने जा रहे चुनाव का नजारा बदला हुआ नजर आएगा। भाजपा सरकार ने सहकारी समिति नियमावली में संशोधन कर दिया है। नवीन नियमावली के अनुसार सहकारी समितियों में दो बार चुनाव जीतने वाले अध्यक्ष और उपाध्यक्ष लगातार तीसरी बार चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। सरकार ने संशोधन कर ऐसे सदस्यों को भी अब मतदान का अधिकार दे दिया है, जो चुनाव से 45 दिन पहले समिति के सदस्य चुने गए हों।
पुराने डेलिगेट को चुनाव से बाहर करने के लिए सरकार ने एक और संशोधन किया है। इस बदलाव के बाद अब वही डेलिगेट (सदस्य) प्रबंध समिति के लिए वोट डाल सकेंगे और चुनाव लड़ सकेंगे, जो उसी चुनाव में चुनकर आए हों। पहले से निर्वाचित सदस्यों को न तो वोट डालने का अधिकार होगा और न ही चुनाव लड़ने का। डा0 गणेश गुप्ता सहायक निबंधक सहकारी समितियां ने बताया कि, इस बार सहकारी समितियों का चुनाव राज्य सहकारी समित निर्वाचन आयोग के माध्यम से कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि सदस्यता शुल्क भी एक हजार से घटाकर एक सौ रुपये कर दिया गया है। इससे गरीब किसान भी समितियों में सदस्य बन सकेंगे।
input- जावेद अहमद