ये मामला है तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से करीब 206 किमी. दूर एम कन्नाथुर गांव का। 15 साल के अजीत कुमार ने फरवरी 2015 में अपने पिता कोलानजी को खो दिया था। यहां राज्य सरकार सामाजिक सुरक्षा स्कीम के तरह प्राकृतिक तरह से मरने वाले हर किसान को सरकार 12,500 रुपए की मदद देती है।
इस मदद को मिलने में कोलांजी के परिवार को करीब डेढ़ साल का समय लग गया। इस महीने सरकार ने ये चेक अजीत की विधवा मां विजया के नाम पर जारी किया। विजया काम के सिलसिले में अब मुंबई रहने लगी है। जब अजीत इस चेक को प्राप्त करने पहुंचा तो गांव के प्रशासनिक अधिकारी सुब्रमण्यम ने उससे काम करने के लिए 3,000 रुपए की रिश्वत मांगी।
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अजीत ने अधिकारी से निवेदन किया कि वो और उसकी मां रिश्वत नहीं दे सकते। जब प्रशासनिक अधिकारी ने अजीत की गुहार नहीं सुनी तो इस लड़के ने दूसरा रास्ता चुना।
अपने कुछ दोस्तों की मदद से अजीत ने एक बैनर छपवा लिया। इस बैनर पर अपना संदेश लिखकर लड़का जगह-जगह भीख मांग रहा है। ये बैनर तमिल भाषा में छपा है।
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