वाहन के लिए 8055 नंबर की चाह में उतरे तीन धुरंधर, दो दिन नहीं हो सका एआरटीओ दफ्तर में कोई काम, लोग हलकान
जौनपुर. जिले का ‘बाॅस’ बनने के लिए त्रिकोणीय लड़ाई चल रही है। इस लड़ाई में आम जनता को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। दरअसल प्रदेश के एक मंत्री, एक अन्य मंत्री का पुत्र और एक पुलिसकर्मी अपने वाहन के लिए आरटीओ से 8055 नंबर का रजिस्ट्रेशन चाहते हैं। इस नंबर को त्रुटिपूण ढंग से लिखने पर अंग्रेजी का बाॅस पढ़ा जाता है। अब विभाग के सामने समस्या खड़ी हो गई है कि ये नंबर किस को दे। इस चक्कर में 8055 के बाद के रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहे हैं।
शुक्रवार बीता, शनिवार भी बीत गया, लेकिन एआरटीओ दफ्तर में एक भी वाहनों का रजिस्ट्रेशन पेपर प्रिंट नहीं हो पाया। सैकड़ों लोग आए और बैरंग लौट गए। ऐसा नहीं है कि विभाग का प्रिंटर खराब हो गया हो या कोई और तकनीकी खराबी हो। गुरूवार तक तो जिले में चल रहे वाहन रजिस्ट्रेशन क्रमांक यूपी-62-ए एक्स- 8054 तक के वाहनों को आरसी प्रिंट कर दे दी गई थी। नंबर 8055 का आया तो विभाग के मुखिया तक के पसीने छूट गए। इस नंबर को पाने के लिए एक नहीं 3 धुरंधरों ने अपनी दावेदारी पेश की थी। इनमें से एक प्रदेश के बाहुबली मंत्री, एक कद्दावर मंत्री का पुत्र और एक दबंग पुलिसकर्मी शामिल हैं। एआरटीओ किसी को नाराज करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे।
शुक्रवार को सुबह से ही माथापच्ची शुरू हुई कि नंबर किस को दिया जाए। कुछ समझ नहीं आया तो संबंधित तीनों लोगों से विनती की गई, लेकिन किसी ने भी अपने हाथ नहीं खींचे। उधर आम लोग भी अपने वाहनों का रजिस्ट्रेशन पेपर लेने विभाग पहुंचे हुए थे। कंप्यूटर ने भी 8055 प्रिंट किए बिना उसके बाद के नंबर को प्रिंट करने में असमर्थता जता दी। कोई हल नहीं निकला तो शुक्रवार को एक भी पेपर नहीं प्रिंट हो सका। लोगों को भी तकनीकी खराबी बताकर वापस कर दिया गया। शनिवार को फिर वही यक्ष प्रश्न सामने था कि 8055 किसे दें। बाहर लोगों की भीड़ भी अपने कागजात के लिए हल्ला मचा रही थी। विभाग के अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक पसीना छोड़ रहे थे कि इस विकट परिस्थिति में किया क्या जाए। शनिवार शाम भी इसी उधेड़बुन में बीत गई। लोगों को आश्वासन देकर लौटा दिया गया कि सोमवार को जरूर उनके कागज प्रिंट होकर मिल जाएंगे। दरअसल 8055 को इस स्टाईल से लिखवाया जाता है कि वो बाॅस पढ़ा जाता है। जैसे 2141 को रामा और 4141 को दादा की तरह लिखवाया जाता है। जौनपुर का बाॅस बनने के लिए भी जिले में लड़ाई छिड़ी हुई है। इस लड़ाई में कोई भी अपने आपको पीछे नहीं करना चाह रहा है। ये और बात है कि इसका खामियाजा जनता भुगत रही है।