गांव की बस्ती से थोड़ी दूर सई नदी के किनारे कान्ता यादव का तबेला है। वहाँ पाँच मड़हों में भैंस, गाय और उनके बछड़ों को सौ से अधिक मवेशी बांधे गये थे।मवेशियों की निगरानी के लिए वहां दिलीप और कमलेश सोए थे। रात को जब आग की लपटों से उनकी नींद खुली तो देखा कि मड़हा जल रहा है।
मवेशी खुद को रस्सी से छुड़ाने के लिए तड़प रहे थे। कुछ मवेशी तो रस्सी तोड़कर भाग गये और कुछ को इन लोगों ने खोल दिया। इसके बावजूद करीब 20 मवेशियों की झुलसने से मौत हो गई। इसमें सबसे अधिक भैंस हैं। सुबह घटना की सूचना पाकर मौकास्थल पर पुलिस और राजस्व विभाग की टीम पहुँच गई।