बता दें कि खुटहन थानांतर्गत दौलतपुर निवासी वादिनी गीता देवी का आरोप था कि 1998 में उसने राजाराम से तीन चक का बैनामा कराया था। उसी जमीन को उमाकांत यादव ने 21 नवंबर 2006 को अपने पक्ष में फर्जी ढंग से बैनामा करा लिया। इसी मामले में पूर्व सांसद के खिलाफ शाहगंज कोतवाली में प्राथमिकी दर्ज हुई थी। अभियोजन पक्ष की ओर से कोर्ट में 5 गवाह पेश हुए थे। एसीजेएम प्रतिभा सक्सेना ने दोनों पक्षों की बहस सुनी। 7 फरवरी 2012 को शाहगंज कोतवाली अंतर्गत भादी निवासी आरोपी उमाकांत यादव के विरुद्ध अपराध सही पाया। उन्होंने धोखाधड़ी व जालसाजी के आरोप में 7 वर्ष के कारावास व 5 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। इसके खिलाफ उमाकांत यादव ने सेशन कोर्ट में अपील की थी। हाल ही में हाईकोर्ट के शासनादेश पर प्रकरण इलाहाबाद स्पेशल कोर्ट में भेजा गया। वहां कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद आरोपी की अपील निरस्त कर दी।
जानिए उमाकांत का राजनीतिक सफर शाहगंज के भादी गांव निवासी उमांकांत यादव पहली बार 1991 में बसपा के टिकट पर खुटहन से विधायक चुने गए। इसके बाद 1993 के चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन हुआ तो बसपा ने फिर उमाकांत को अपना उम्मीदवार बनाया। खुटहन का ये चुनाव भी उमाकांत जीत गए। 1996 में विधानसभा चुनाव आया तो उमाकांत ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया और फिर जीत उनके पाले में आई। साल 2004 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने उमाकांत को मछलीशहर से अपना प्रत्याशी घोषित किया। ये चुनाव उमाकांत जेल में रहते हुए भी जीत लिया।