पटाखा फैक्ट्री और दुकान आबादी के करीब एक किलोमीटर दूर होनी चाहिए। बिजली सप्लाई के लिए खींचे गए तारों के आसपास दुकानों को लाइसेंस नहीं मिलना चाहिए। अग्निशन और पुलिस की एनओसी के बाद ही लाइसेंस जारी किया जाना चाहिए। पटाखा फैक्ट्री या दुकानदार को आतिशबाजी का अनुभव प्रमाणपत्र होना चाहिए। पटाखों में बारूद, तारकोल और सल्फर के केमिकल्स का इस्तेमाल होता है। इससे पटाखे से चिंगारी, धुआं और आवाज निकलता है। इनके मिलने से प्रदूषण होता है।
पटाखा बनाते समय बारूद के कण अक्सर हवा के साथ फेफड़ो में पहुंच जाते हैं। इससे कई बीमारियां भी पैदा हो जाती हैं, जो बच्चों और बड़ों पर काफी असर डालती है। पटाखा दुकानदारों को दुकान पर धूम्रपान निषेध लिखना जरुरी है। साथ ही क्रय-विक्रय रजिस्टर भी रखना और उसमें क्रेता का नाम अंकित करना भी जरुरी है। दुकान पर गैस सिलेंडर, लैंप, लालटेन, मोमबत्ती, अगरबत्ती, धूम्रपान का प्रयोग वर्जित होना चाहिए। दुकानों पर पानी और बालू से भरी बाल्टी रखना जरुरी है। पटाखा दुकानों पर आग बुझाने के पर्याप्त साधन होने चाहिए।