जौनपुर के मछली शहर कोतवाली अन्तर्गत जुड़ऊपुर गांव में गजराज सिंह के घर से आ रही लगातार बदबू से परेशान होकर पड़ोसी घर के अंदर गए तो वहां का नजारा देखकर दंग रह गए। 52 साल के गजराज सिंह को मरे कई दिन हो चुके थे और उनकी लाश सड़कर उसमें कीड़े पड़ गए थे। पड़ोसियों ने इसकी जानकारी मुंबई में रह रही उनकी पत्नी साधना सिंह व बेटे किशन सिंह को दी, लेकिन उन्होंने किसी तरह का रिश्ता होने और आकर अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया। लोगों ने काफी समझाया पर वो आने को तैयार नहीं हुए। बेटी जूही को उसके ससुराल फोन कर खबर दी गयी पर वो भी नहीं आयी। हार कर लोगों ने पुलिस को सूचना दी।
मछलीशहर कोतवाली पुलिस पहुंची तो शव की हालत देखकर वह भी दंग रह गयी। पुलिस ने भी बीवी और बेटे को मुंबई फोन कर समझाने की कोशिश की पर दोनों ने साफ इनकार कर दिया।
उनके परिवार के अभय राज सिंह, धर्मराज सिंह वगैरह लोगों से भी अंतिम संस्कार के लिये कहा गया पर किस विवाद में फंसने के डर से उन लोगों ने इससे इनकार कर दिया। जब कोई आगे नहीं आया तो कोतवाल ने गांव के प्रधान और बीडीसी को बुलाकर कफन आदि का पैसा अपने जेब से दिया और शव को कोतवाली ले गए। गांव वालों की मौजूदगी में शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिये भेजा गया। तब तक गांव के लोग इंतजार करते रहे कि शायद उनके अपनों का दिल पिघल जाए, पर ऐसा हुआ नहीं। आखिरकार पुलिस ने परिजनों के होते हुए गजराज सिंह केइ अंतिम संस्कार का इंतजाम किया।
सम्पत्ति के विवाद में सबने मुंह मोड़ा: चर्चा आखिर ऐसा क्या हुआ कि गजराज सिंह को मरता हुआ छोड़ गए परिवार के लोग और लाश सड़ जाने पर भी अंतिम संस्कार नहीं करने आए। इस बाबत चर्चा रही कि इसके पीछे सम्पत्ति का विवाद था। गजराज सिंह अपनी सम्पत्ति का ज्यादातर हिस्सा बेच चुके थे, जिसके चलते पत्नी और बेटा सभी उनसे किनारा कर चुके थे। वो काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। चोट लगी और इलाज नहीं हुआ तो शरीर सड़ गया और उसमें कीड़े पड़ गए। आस-पड़ोस के लोग कुछ खाने को देते तो पेट भरता, वर्ना कई-कई दिनों तक भूखे ही रहना पड़ता था। दिमागी हालत भी ठीक नहीं थी। मौत कैसे हुई इसके लिये अब पोस्टमार्टम का इंतजार है।
By Javed Ahmad