तत्कालीन तहसील प्रशासन का कहना था कि बेबसाइट बन्द होने से पहले सभी जमा फार्मों की फीडिंग हो चुकी है। चुनाव के बाद पूर्व में फार्म जमा किये गये किसानों के खाते में पैसा नहीं आया तो तहसील व सम्बंधित लेखपालों के चक्कर काटने लगे तो लेखपाल उनको संतुष्ट करने के लिये रिसिविंग की प्रति भी दिखाये। आशंकावश किसान व अधिवक्ता जांच पड़ताल शुरु किये तो खतौनी कम्प्यूटर रूम व रजिस्ट्रार कार्यालय में लगभग हजार फार्म कूडे में फेंके मिले। जिसकी फीडिंग अभी तक नहीं हुई थी। जब इसकी शिकायत नायब तहसीलदार कृष्ण राज सिंह से की गई तो उन्होने अपना पल्ला झाड़ लिया ।तब इस बावत उपजिलाधिकारी मंगलेश दूबे से पूछा गया तो आश्चर्य चकित हो गये और कहा कि इसकी जांच की जायेगी। यदि किसी फार्म की फीडिंग नहीं हो पाई है तो कराई जायेगी। कर्मचारियों की निष्क्रियता चर्चा का विषय बनी है।
वहीं कुछ लेखापाल अपने हल्के का फार्म खोजने के लिये कम्प्यूटर कक्ष की तलाशी शुरु कर दिये हैं। बुद्धवार को सुबह एस डी एम ने रजिस्ट्रार कानूनगो कार्यालय व कमप्यूटर कक्ष का निरीक्षण किया।सभी राजस्व कर्मचारियों को निर्देश दिया कि योजना का लाभ पाने से कोई किसान बंचित न रहे। गांवों में कैम्प लगाकर किसानों से आवश्यक कागजात लेकर स्वीकृत कर सूची बनाकर कृषि विभाग में जमा करायें । जिससे समय से कम्प्यूटर में फीडिंग हो सके। किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी।