पिछले विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक नदीम जावेद को हार का सामना करना पड़ा हो लेकिन एक बात काफी गौर करने वाली रही, उनकी पत्नी असमा की सक्रियता। राजनीतिक जानकारांे की मानें तो नदीम जावेद इस चुनाव में हस्तक्षेप जरूर करेंगे और इसका सीधा संकेत अपनी पत्नी को चुनावी मैदान में उतार कर दे सकते हैं। जहां एक ओर माया टंडन को दिनेश टंडन के तीन बार चेयरमैन रहने का लाभ मिलेगा वहीं असमा को नदीम जावेद की लोकप्रियता का फायदा मिलने के पूरे आसार हैं। इसके अलावा भी कई महिला राजनेता चुनावी ताल ठोंकती नजर आएंगी। एक बात और साफ हो चुकी है कि इस बार नगर क्षेत्र के विकास की कमान भी महिला के ही हाथ मंे होगी। इसके अलावा शाहगंज को पिछड़ा महिला सीट घोषित किया गया है। इससे वहां की राजनीतिक समीकरण भी काफी हद तक प्रभावित होंगे। मुुंगराबादशाहपुर में भी पिछड़ा वर्ग का उम्मीदवार चुनाव लड़ता देखा जाएगा। यहां भी सीट आरक्षित रहेगी।
निकाय चुनाव का आरक्षण जारी होने के बाद बढ़ी चुनावी सरगर्मी वहीं सिद्दार्थनगर में नगर निकाय चुनाव को लेकर आरक्षण सूची जारी होने के बाद चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। प्रमुख दलों के साथ छोटे दलों ने भी अपनी जो आजमाइश शुरू कर दी है। वार्ड सभासद के साथ ही निकाय अध्यक्ष के लिए भी जोड़तोड़ शुरू हो गया है। अध्यक्षों की आरक्षण सूची आने के साथ चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। प्रमुख दलों के अलावा आजाद उम्मीदवार की हैसियत से किस्मत आजमाने वाले मतदाताओं का मन टटोलने के लिए वार्डों के चक्कर लगाने लगे हैं।
input- जावेद आहमद