जौनपुर। जिले में बनाई गई अतिरिक्त बीपीएल सूची में फूड निरीक्षकों ने जमकर खेल किया। मनमानी करते हुए अपात्रों को भी सरकारी लाभ लेने योग्य बना दिया गया। डीएम को मामले की जानकारी हुई तो उन्होंने पूर्ति अधिकारी को फटकार लगाते हुए जांच के आदेश दे दिए। ये भी कह दिया कि जांच में पूर्ति विभाग किसी भी तरह से हस्तक्षेप नहीं करेगा।
खाद्य सुरक्षा कानून लागू हो चुका है। इस कानून के लागू होने से पहले जो परिवार एपीएल कार्ड धारक तो थे लेकिन उनकी माली हालत बदतर थी उनको भी लाभ पहुचाने का सरकार ने कदम उठाया। चूंकि बीपीएल और अंत्योदय कार्ड जारी करने की एक सीमा होती है, इसलिए इन एपीएल कार्ड धारकों को अतिरिक्त बीपीएल का दर्जा दिए जाने की कवायद शुरू की गई। सरकार ने एनएफएसएडी के तहत जरूरतमंदों से आॅनलाइन आवेदन मांगे। इसमें 1 लाख 37 हजार 956 लोगों ने आवेदन किया। इन आवेदकों की सही स्थिति जांचने के लिए पूर्ति विभाग ने फूड निरीक्षकों को जिम्मेदारी दे दी। यहीं से फूड निरीक्षकों ने खेल शुरू किया। देखते ही देखते 1 लाख 27 हजार 149 लोगों को अतिरिक्त बीपीएल सूची में लाभ देने के लिए शामिल कर लिया गया। बताया गया कि प्राथमिकता के आधार पर इन लोगों को अतिरिक्त बीपीएल की श्रेणी में रखा गया है। पात्र बनाए जाने के पीछे किस मानक को मद्देनजर रखा गया इसका जिक्र नहीं हुआ। सूची बनी तो असंतोष भी पैदा हो गया। जिनके नाम शामिल नहीं थे उन्होंने फर्जी तरीके से सूची निर्माण का आरोप लगाना शुरू कर दिया। बात डीएम तक पहुंची तो उन्होंने पूर्ति अधिकारी सीमा सिंह से दो टूक पूछ लिया कि क्या सूची निर्माण में मठाधीशी की गई है। साथ ही पूरी सूची की जांच की जिम्मेदारी एसडीएम को दे दी। ये भी ताकीद कर दी कि पूर्ति विभाग का कोई भी कर्मचारी या अधिकारी जांच में सहयोग या हस्तक्षेप नहीं करेगा। डीएम ने बताया कि अतिरिक्त बीपीएल सूची को क्राॅस चेक कराना जरूरी है। ताकि सूची में किसी भी गड़बड़ी को समय रहते दूर किया जा सके।