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प्राणायाम से बढ़कर कोई तप नहीं, इसे करने से चित्त और चेतना की सुंदरता बढ़ती है- अवधेश

locationजौनपुरPublished: Oct 13, 2018 09:38:28 pm

Submitted by:

Ashish Shukla

दण्ड और बैठक का अभ्यास कराते हुए उसके विविध लाभों को भी बताया गया

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प्राणायाम से बढ़कर कोई तप नहीं, इसे करने से चित्त और चेतना की सुंदरता बढ़ती है- अवधेश

जौनपुर. मानव निर्माण की प्रक्रियाओं में अनेकों ऐसे कारक हैं जो जो किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व को हर पल नित एक नई ऊँचाईयों की ओर अग्रसर करता रहता है। स्वाध्याय के माध्यम से प्रत्येक व्यक्ति को अपने भीतर की कमियों के साथ निरन्तर शास्त्रों का अध्ययन करते रहना चाहिए और इसके अतिरिक्त इश्वर के मंशानुरूप जो भी व्यक्ति को प्राप्त हो वह प्रभु को समर्पित करते हुए निरन्तरता के साथ प्राणायामों का अभ्यास करके अपनें चित्त और चेतना को सुन्दरतम बनाया जा सकता है।
उपरोक्त बातें टीडी इन्टर कालेज में पतंजलि योगपीठ हरिद्वार के दिशा-निर्देशन में चल रहे पच्चीस दिवसीय विशेष योग प्रशिक्षण शिविर के दौरान आर्य समाज के विद्वान श्री अवधेश सिंह नें कही। योग के क्रियात्मक अभ्यासों में युवा भारत के प्रभारी डा हेमन्त कुमार व डा0 ध्रुववराज द्वारा युवाओं को विभिन्न प्रकार के दण्ड और बैठक का अभ्यास कराते हुए उसके विविध लाभों को भी बताया गया।
पतंजलि योग समिति के प्रान्तीय सह प्रभारी अचल हरीमूर्ति के द्वारा भक्ति योग,कर्म योग, राजयोग सहित अष्टांग योग के विविध पहलुओं का अभ्यास कराया जा रहा है। इस मौके पर भारत स्वाभिमान के प्रभारी शशिभूषण जी,डा0 चन्द्रसेन , शकुन्तला, रामसहाय यादव, राममिलन, डा0 शिवनारायन, जयसिंह, प्रवीण सिंह, इरशाद अहमद, शैलेश , विकास य व पिन्टू विश्वकर्मा सहित अन्य साधक उपस्थित रहे।
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