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विकास व डायवर्सन शुल्क लेकर 29 अवैध कॉलोनियांंं होंगी वैध

locationझाबुआPublished: Jan 21, 2020 06:03:11 pm

Submitted by:

kashiram jatav

वर्तमान में 20.738 हेक्टेयर क्षेत्र में बसी है अवैध कॉलोनियां, शहर का आधे से ज्यादा हिस्सा अवैध

विकास व डायवर्सन शुल्क लेकर 29 अवैध कॉलोनियांंं होंगी वैध

विकास व डायवर्सन शुल्क लेकर 29 अवैध कॉलोनियांंं होंगी वैध

झाबुआ. निजी जमीनों पर बसी अवैध कॉलोनियों को वैध करने के लिए नगरीय विकास एवं आवास विभाग की ओर से मसौदा तैयार करने के बीच झाबुआ शहर के 11 वार्ड में स्थित 29 अवैध कॉलोनियों को भी वैध करने का रास्ता साफ हो गया है। इसके लिए यहां मकान बनाकर रह रहे लोगों से समझौता शुल्क, विकास शुल्क और डायवर्सन शुल्क लिया जाएगा। हालांकि लोगों को सपने दिखाकर अवैध कॉलोनी बसाने वालों पर जुर्माने की कार्रवाई होगी।
दरअसल 40 हजार की आबादी वाले झाबुआ शहर में पिछले करीब 10 सालों से अवैध कॉलोनियों के निर्माण का कार्य चल रहा है। लोगों ने अपने खेत में मनमाफिक तरीके से प्लॉट काटकर बेच दिए। बकायदा यहां मकान बनते गए और देखते ही देखते खेत कॉलोनियों में तब्दील हो गए। वर्तमान में 20.738 हेक्टेयर क्षेत्र में अवैध कॉलोनियां बसी हैं।
नगर पालिका सीएमओ एलएस डोडिया ने बताया कि किशनपुरी, रामकृष्ण नगर, सिद्धेश्वर कॉलोनी, रोहीदास मार्ग, बसंत कॉलोनी, भोज मार्ग, कॉलेज रोड, मौजीपाड़ा, उदयपुरिया, एलआईसी कॉलोनी व टीचर्स कॉलोनी भी अवैध की श्रेणी में शामिल है। यानी झाबुआ शहर का आधा से ज्यादा हिस्सा ही अवैध है। ऐसे में अब जब कमलनाथ सरकार फिर से अवैध कॉलोनियों को वैध करने की तैयारी कर रही है तो यहां रह रहे लोगों को नई उम्मीद बंधी है। इसके तहत कॉलोनी में घर बनाकर रह रहे लोगों से समझौता शुल्क, विकास शुल्क और डायवर्सन शुल्क लेकर कॉलोनी को वैध किया जा सकेगा। जबकि कॉलोनी बसाने वालों पर कार्रवाई होगी। इससे भविष्य में अवैध कॉलोनी बसाने वाले पीछे हट जाएंगे।
आंध्रप्रदेश और दिल्ली का मॉडल लागू होगा-
कॉलोनियों को वैध करने के लिए नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अफसरों ने आंध्रप्रदेश और दिल्ली के कॉलोनी नियमितिकरण के नियमों का अध्ययन किया है। इन्हें पढऩे के बाद तय किया गया कि जिन लोगों ने कॉलोनी का सपना दिखाकर प्लॉट बेचे उन पर कानूनी व जुर्माने की कार्रवाई की जाए। वहीं मकान बना चुके लोगों से डेवलपमेंट चार्ज, समझौता शुल्क लेकर राहत दी जाए।
शिवराज सरकार ने भी लिया था फैसला-
तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने 8 मई 2018 को ग्वालियर से मप्र में अवैध कॉलोनियों को वैध किए जाने के अभियान की शुरुआत की थी। हालांकि बाद में एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की ग्वालियर बैंच ने 3 जून 2019 को प्रदेश सरकार की इस प्रक्रिया को गलत ठहराते हुए इसे निरस्त कर दिया था। इससे अवैध कॉलोनियों को वैध किए जाने की प्रक्रिया रुक गई थी।
अब आगे क्या-
कमलनाथ सरकार द्वारा तैयार मसौदे के अनुसार अवैध कॉलोनियों में रह रहे लोगों से समझौता शुल्क, वहां होने वाले डेवलपमेंट के चार्ज लेकर कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। साथ ही बिना नियमों का पालन करे और बिना सुविधाओं के कॉलोनी बसाने वाले लोगों के खिलाफ तय जुर्माना वसूला जाएगा।
इन लोगों ने अपनी निजी जमीन पर बना दी अवैध कॉलोनी-
यदि अवैध कॉलोनी बनाने वालों पर कार्रवाई होती है तो नगरपालिका के रेकॉर्ड के अनुसार इसकी जद में जो लोग आएंगे उनमें चिमनसिंह, गंगासिंह पिता भावसिंह, दितू पिता भावसिंह, खेमचंद पिता भावसिंह, सुनील परमार, कैलाश, दिलीप, राजेंद्र पिता सज्जनसिंह, रमेश पिता फुलसिंह, मोहन पिता दिता, चेनसिंह पिता बूचा, खेरूनिशा पति मुस्तफा, बालू पिता नानिया, अनिल पिता तूफान, खुमसिंह पिता नानिया, शोभाना पति सुरेंद्रमल, अब्दुल गनी पिता अब्दुल मजीद, कलम खां पिता मोहम्मद नवाब, अहमद शाह पिता जुम्मन शाह, मोहम्मद हनीफ इब्राहिम, सुगरा बी पति मोहम्मद सुलेमान, सज्जनबाई पति शांतिलाल जैन, राजेश पिता देमा, तोलसिंह, जामसिंह, बाबूलाल, देवसिंह, रमेश, कालू, रामू, मुकेश पिता अन्नू, भूरी जोसफ, राकेश, सोनू, मोनू, विजय, फुलसिंह, मानङ्क्षसह, सोनू पिता लीमजी, कुतुबुद्दीन कुरबान हुसैन पिटोलवाला, विजेंद्र पिता बाबूलाल, अब्दुल मजीद, अब्दुल गफुर पिता अब्दुल रहमान, जयंतीलाल पिता सुजानमल जैन व शासकीय कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी समिति अध्यक्ष रामेश्वर भुरूलाल आएंगे।
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