दरअसल अभी तक नर्सरियों में पौधों को तैयार करने के लिए बड़ी मात्रा में रासायनिक खाद का उपयोग होता रहा है। इससे पौधों की बढ़वार तो अच्छी होती है, लेकिन जमीन के अनुपजाऊ होने की खतरा खड़ा हो गया था। जिसे देखते हुए इस साल से रासायनिक खाद का प्रयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है। उसके स्थान पर जैविक खाद से पौधे तैयार किए। इससे अच्छे परिणाम सामने आए हैं। पौधे पहले के मुकाबले ज्यादा स्वस्थ्य है और उनकी बढ़वार भी दोगुनी रही। वर्मी कंपोस्ट की तैयारी के लिए अनुसंधान विस्तार वृत्त की रोपणियों में ही पिट तैयार किए गए। जहां गोबर व जैविक कचरे के मिश्रण से केंचुओ द्वारा वर्मी कंपोस्ट तैयार की जाती है। पंचपर्णी काढ़ा व वर्मी बांस के माध्यम से पौधों का जैविक उपचार भी किया गया।
8 लाख पौधों का वितरण
जैविक खाद से तैयार पौधों में से 8 लाख 33 हजार का वितरण कर दिया है । इसमें से मौजीपाड़ा नर्सरी से 3 लाख 13 हजार पौधे दिए गए तो वहीं अनास नर्सरी से 4 लाख 78 हजार और देवझिरी नर्सरी से 42 हजार पौधों का वितरण किया गया।
जैविक खाद से तैयार पौधों में से 8 लाख 33 हजार का वितरण कर दिया है । इसमें से मौजीपाड़ा नर्सरी से 3 लाख 13 हजार पौधे दिए गए तो वहीं अनास नर्सरी से 4 लाख 78 हजार और देवझिरी नर्सरी से 42 हजार पौधों का वितरण किया गया।
इसलिए जैविक खाद का उपयोग किया-
वन अनुसंधान एवं विस्तार वृत्त झाबुआ के एसडीओ आरसी गेहलोत बताते हैंकि इस बार पौधों को तैयार करने के लिए पूरी तरह से जैविक खाद का इस्तेमाल किया गया। इससे जहां विभिन्न प्रकार की फंगस और बेक्टिरिया से पौधों की रक्षा होती है। साथ ही पौधों के लिए अनुकूल जीवाणु भी सुरक्षित रहते हैं। नवाचार के रूप में वर्मी कंपोस्ट में वेल्यू एडिशन का काम एजेटोबैक्टर, पीएसबी, सूडोमोनास और ट्राइकोडर्मा का मिश्रण मिलाकर किया जा रहा है। ये सभी जीवाणु पौधों द्वारा मिट्टी से सूक्ष्म तत्व ग्रहण करने तथा उपयोगी लवणों के अवशोषण की प्रक्रिया में वृद्धि करने के साथ पौधों की खतरनाक बेक्टिरिया से रक्षा में सहायक है। सूडोमोनास पौधों में प्राकृतिक हार्मोन बनाने मे सहायक है। जिससे पौधों की समुचित वृद्धि होती है।
पानी की बचत के प्रयास-
वन अनुसंधान एवं विस्तार वृत्त झाबुआ की नर्सरी में लगाए गए पौधों की सिंचाई में पानी की बचत के लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर के साथ फोगर सिस्टम जैसी आधुनिक तकनीक का उपयोग भी किया गया है। इससे पानी का अपव्यय न हो।
किस नर्सरी में कितने पौधे तैयार किए-
नर्सरी पौधों की संख्या
मौजीपाड़ा 10 लाख 35 हजार
अनास 14 लाख
देवझिरी 4 लाख 50 हजार
वन अनुसंधान एवं विस्तार वृत्त झाबुआ के एसडीओ आरसी गेहलोत बताते हैंकि इस बार पौधों को तैयार करने के लिए पूरी तरह से जैविक खाद का इस्तेमाल किया गया। इससे जहां विभिन्न प्रकार की फंगस और बेक्टिरिया से पौधों की रक्षा होती है। साथ ही पौधों के लिए अनुकूल जीवाणु भी सुरक्षित रहते हैं। नवाचार के रूप में वर्मी कंपोस्ट में वेल्यू एडिशन का काम एजेटोबैक्टर, पीएसबी, सूडोमोनास और ट्राइकोडर्मा का मिश्रण मिलाकर किया जा रहा है। ये सभी जीवाणु पौधों द्वारा मिट्टी से सूक्ष्म तत्व ग्रहण करने तथा उपयोगी लवणों के अवशोषण की प्रक्रिया में वृद्धि करने के साथ पौधों की खतरनाक बेक्टिरिया से रक्षा में सहायक है। सूडोमोनास पौधों में प्राकृतिक हार्मोन बनाने मे सहायक है। जिससे पौधों की समुचित वृद्धि होती है।
पानी की बचत के प्रयास-
वन अनुसंधान एवं विस्तार वृत्त झाबुआ की नर्सरी में लगाए गए पौधों की सिंचाई में पानी की बचत के लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर के साथ फोगर सिस्टम जैसी आधुनिक तकनीक का उपयोग भी किया गया है। इससे पानी का अपव्यय न हो।
किस नर्सरी में कितने पौधे तैयार किए-
नर्सरी पौधों की संख्या
मौजीपाड़ा 10 लाख 35 हजार
अनास 14 लाख
देवझिरी 4 लाख 50 हजार