सरकारी ताजिया बनाने वाले शाकिर शाह ने बताया कि यहां के राजा ने बहादुरशाह सागर तालाब में कर्बला के लिए स्थान दिया गया था। 7 साल से कर्बला का स्थान के लिए प्रशासन मात्र आश्वाशन दे रहा है। स्थान को लेकर दुविधा होने से समाज के लोग ताजियों को घर या इमामवाड़े में रखते है। यह इमामवाड़ा भी ताजियों की संख्या लगातार बढऩे से खचाखच भर गया। अब इममवाड़ा के लिए नया स्थान खोजने की भी समस्या है।
सैयद अली पिता मुंसिफ अली ने बताया 200 साल से भी पुरानी परंपरा के अनुसार मुस्लिम पंचायत 2013 के पहले बहादुर सागर तालाब में मुहर्रम के ताजिया को ठंडा करते थे।
सुप्रीम कोर्ट ने तालाब, कुंआ , बावड़ी आदि जलस्त्रोतों में किसी भी धर्म के देवी देवताओं की मूर्तियों को विसर्जन करने पर रोक लगाई थी। इसके बाद से ही ताजियों का विसर्जन होना बंद हो गया है। इस बार भी घर में ताजियों को रखने पर मजबूर हुए है। घर में भी स्थान की कमी होने लगी है। वर्षों पुरानी परंपरा बनाए रखने के लिए इस मामले का जल्दी निराकरण होना चाहिए।
& कर्बला स्थान की मांग के लिए मुस्लिम पंचायत से आवेदन मिला है। प्रशासन ने भी मामले के जल्द निराकरण करने की बात कही है। यह जमीन नई है, इसलिए इस जमीन पर नगर पालिका की अगली बैठक में प्रपोजल रखेंगे। परिषद जैसा भी तय करेगी वैसा कार्य होगा।
मंशाराम निगवाल, सीएमओ