scriptजुलूस निकाल के बाद विसर्जन किए बगैर ताजिए इमामवाड़े में रखे | After removing the procession, keep it in Imamwad without immersion | Patrika News

जुलूस निकाल के बाद विसर्जन किए बगैर ताजिए इमामवाड़े में रखे

locationझाबुआPublished: Sep 22, 2018 10:03:32 pm

मोहर्रम : 30 से 40 दिन में नगर पालिका के अधिकार क्षेत्र की जमीन पर प्रस्ताव पारित होने के बाद टेंडर निकलेंगे

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जुलूस निकाल के बाद विसर्जन किए बगैर ताजिए इमामवाड़े में रखे

झाबुआ. मुहर्रम के ताजियों के कर्बला का नया स्थान तय नहीं किया। रात में जुलूस निकालकर वापस ले गए। इस बार भी प्रशासन द्वारा तालाब के जल से भरे ड्रम राजवाड़ा परिसर में रखकर प्रत्येक ताजियों पर जल के छींटे मार कर बिना विसर्जन किए ताजियों को लौटा दिया।
छोटा तालाब के किनारे पर ताजियों को रखने के लिए एक इमामवाड़ा तैयार किया गया है। 2013 के बाद से ही स्थान बदलने से कर्बला का एक नियत स्थान नहीं मिला। लगातार 7 वर्ष से मुस्लिम समाज के प्रतिनिधि प्रशासन से अपनी सामाजिक प्रथाओं के निर्वहन के लिए एक सुरक्षित स्थान की मांग कर रहा है। इस बार एसडीएम ने रतनपुरा में वन विभाग के मालिकाना हक वाली भूमि दिखाई। वन विभाग की आपत्ति लेने पर ताजियों के विसर्जन तक कोई निर्णय नहीं निकल पाया। पिछले वर्ष तत्कालीन एसडीएम ने पुराने चांदमारी के स्थान के पीछे बहने वाले नाले पर पोखर निर्माण कर ताजियों के विसर्जन के लिए स्थान देना तय किया था, लेकिन उस पर दो स्थानीय महिलाओं के ऑब्जेक्शन लेने के कारण पिछले वर्ष भी ताजियों का विसर्जन नहीं हो सका। इस बारे में मुस्लिम समाज के जिला सदर मुर्तुजा खान का कहना है कि इस बार एसडीएम जगदीश गोमे से चर्चा करने पर 30 से 40 दिन का समय मांगा है। उनके अनुसार तय जगह नगर पालिका के अधिकार क्षेत्र में है। जिस पर प्रस्ताव पारित होने के बाद कलेक्टर की सहमति से टेंडर निकाले जाएंगे। इस बार प्रशासन ने पूरा कार्य प्रोसीजर के अनुसार होने एवं मुस्लिम समाज को करबला का स्थान दिए जाने का विश्वास दिलाया है।
प्रशासन मात्र दे रहा आश्वासन
सरकारी ताजिया बनाने वाले शाकिर शाह ने बताया कि यहां के राजा ने बहादुरशाह सागर तालाब में कर्बला के लिए स्थान दिया गया था। 7 साल से कर्बला का स्थान के लिए प्रशासन मात्र आश्वाशन दे रहा है। स्थान को लेकर दुविधा होने से समाज के लोग ताजियों को घर या इमामवाड़े में रखते है। यह इमामवाड़ा भी ताजियों की संख्या लगातार बढऩे से खचाखच भर गया। अब इममवाड़ा के लिए नया स्थान खोजने की भी समस्या है।
सैयद अली पिता मुंसिफ अली ने बताया 200 साल से भी पुरानी परंपरा के अनुसार मुस्लिम पंचायत 2013 के पहले बहादुर सागर तालाब में मुहर्रम के ताजिया को ठंडा करते थे।
सुप्रीम कोर्ट ने तालाब, कुंआ , बावड़ी आदि जलस्त्रोतों में किसी भी धर्म के देवी देवताओं की मूर्तियों को विसर्जन करने पर रोक लगाई थी। इसके बाद से ही ताजियों का विसर्जन होना बंद हो गया है। इस बार भी घर में ताजियों को रखने पर मजबूर हुए है। घर में भी स्थान की कमी होने लगी है। वर्षों पुरानी परंपरा बनाए रखने के लिए इस मामले का जल्दी निराकरण होना चाहिए।
परिषद जो तय करेगी वैसा कार्य होगा
& कर्बला स्थान की मांग के लिए मुस्लिम पंचायत से आवेदन मिला है। प्रशासन ने भी मामले के जल्द निराकरण करने की बात कही है। यह जमीन नई है, इसलिए इस जमीन पर नगर पालिका की अगली बैठक में प्रपोजल रखेंगे। परिषद जैसा भी तय करेगी वैसा कार्य होगा।
मंशाराम निगवाल, सीएमओ
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