मंत्रीजी ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि आज छुट्टी का दिन था और आप सभी को यहां बुला लिया। कई लोगों ने अलग-अलग कार्यक्रम बना रखे होंगे। हो सकता है कि बहुत से शिक्षक मुझ पर नाराज भी हो रहे हो। उन्होंने जब शिक्षकों से कहा कि कौन-कौन नाराज हो रहा है अपने हाथ उठातो सभी हंस दिए। फिर मंत्रीजी खुद ही बोले कि हमारे लोग रविवार ही नहीं अन्य छुट्टी के दिन भी अ पने कर्तव्य को पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाते हैं। इससे पूर्व कार्यक्रम की शरुआत में पूर्व सांसद कांतिलाल भूरिया ने मंत्री मरकाम को साफा बांधा।
कलेक्टर प्रबल सिपाहा ने लोक संस्कृति के प्रतीक झूलड़ी पहनाकर तीर-कामठी भेंट की। उपायुक्त गणेश भाबर ने प्रतीक चिह्न भेंट किए। सहायक आयुक्त प्रशांत ार्य ने कार्यक्रम की रूपरेखा व प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इस अ वसर पर पूर्व विधायक जेवियर मेड़ा, थांदला विधायक वीरसिंह भूरिया, पेटलावद विधायक वालसिंह मेड़ा, युवा नेता डॉ. विक्रांत भूरिया, नपाध्यक्ष मन्नूबने डोडियार अ ादि मौजूद थे।
कहने को तो यह विभागीय समीक्षा बैठक थी, लेकिन अ पने भाषण के दौरान मंत्री मरकाम विषय से भटकते रहे। उन्होंने शुरुआत 18 57 की क्रांति के शहीदों के अ लावा देश के वीर सपूतों को याद किया। फिर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के किस्से सुनाने लगे। इसके बाद उन्होंने कहा चुनौतियों के बीच मुझे ये बड़ी जिम्मेदारी मिली है। मैं अ ादिम जाति कल्याण विभाग को मप्र ही नहीं देश में भी जनतंत्र की सेवा का सबसे बड़ा विभाग बनाना चाहता हूं। सिर्फ मंत्रालय में बैठकर कार्य योजना बनाने से सार्थक परिणाम नहीं आ सकते इसलिए मैं अ ाप सभी के बीच आया हूं। उन्होंने कहा जहां स्कूल भवन नहीं है। भवन जर्जर हो रहे हैं, पानी की कमी है, शौचालय नहीं बने हैं, रसोई घर नहीं बने हैं। इन सबकी जानकारी आप सीधे मुझे दे सकते हैं। मैंने जानकारी बुलवाई है, लेकिन भी पूरा डाटा उपलब्ध नहीं हो पाया है। सही समय पर सही काम हो सके इसलिए मैं अ ापसे संपर्क करने अ ाया हूं। देश सशक्त बने इसके लिए एक मात्रा रास्ता शिक्षा और शिक्षक है। उन्होंने कहा यदि आप कल्पना करें कि एक बच्चा पने माता-पिता व सरकार से क्या चाहता होगा तो मैं कहूंगा-वह कहता होगा- अ ाप मुझे बेहतर शिक्षा व्यवस्था दो, मैं अ ापको बेहतर जीवन दूंगा। हम विचार करें कि क्या हम बच्चों को बेहतर शिक्षा दे पा रहे हैं।
समीक्षा बैठक में मंत्री ोंकारसिंह मरकाम के पहुंचने के बाद जब मंच संचालन कर रहे व्याख्याता हरीश कुंडल ने उनके स्वागत की बात कही तो मंत्रीजी ने तत्काल रोक दिया। फिर खुद माइक लेकर बोले- यहां जो भी दो वरिष्ठ शिक्षक मेरे माता-पिता तुल्य है वे मंच पर आ जाएं। ऐसे में मेघनगर बीईओ बीएल शर्मा व थांदला बीईओ क्रिस्टिना डोडियार मंच पर पहुंचे। मंत्रीजी ने दोनों का स्वागत कर कार्यक्रम शुरू करने की औपचारिक घोषणा की।
जितने की माला खरीदते हो उतने की पेन लेकर गरीब बच्चों को बांटे-
आदिम जाति कल्याण मंत्री मरकाम ने कहा मैं किसी भी कार्यक्रम में पना स्वागत माला से नहीं करवाता हूं। मेरी सोच है कि जितने की माला खरीदते हैं उतने की पेन खरीदकर गरीब बच्चों को दे दें। हो सकता है उनमें से कल कोई पढ़-लिखकर बड़ा अधिकारी बन जाए।
शिक्षक से पूछे विद्यार्थी के पांच गुण, फिर अपनी तरफ से दिया छठा सूत्र-
बैठक के दौरान मंत्री मरकाम ने कहा कोई मुझे बता सकता है कि विद्यार्थी के पांच गुण क्या होते हैं? ऐसे में देवीगढ़ उमावि के प्राचार्य डीके उपाध्याय मंच पर आए। उन्होंने श्लोक- काक चेष्ठा, बको ध्यानं। स्वान निंद्रा तथैव च। अल्पहारी, गृहत्यागी, विद्यार्थी पंच लक्षणं। के माध्यम से विद्यार्थीके पांच गुण बताए। इसके बाद मंत्रीजी ने अ पनी तरफ से इसमें छठा गुण जोड़ते हुए कहा-विद्यार्थी नशा त्यागी भी होना चाहिए। उन्होंने स्वयं का उदाहरण देते हुए कहा- मैं किसी भी प्रकार के नशे से दूर हूं। शिक्षकों से भी अ ाग्रह करता हूं कि वे भी कोई नशा करके विद्यालय न जाए।
विद्याथर््िायों के लिए दिए 6 सूत्र-
1. कौए की तरह कार्य करने की चेष्टा हो।
2. बगुले की तरह लक्ष्य की प्रति एकाग्रता।
3. कुत्ते की तरह नींद हो।
4. स्वल्पाहारी यानी जितनी शरीर की अ ावश्यकता है उतना भोजन करें।
5. ग्रह त्यागी यानी घर से दूर रहकर भी शिक्षा ग्रहण करें।
6 . नशा त्यागी। किसी भी तरह का नशा न करें।
शिक्षकों को दी हिदायत-
मैं अपने कर्तव्य की तरफ अ ागे बढूं अ ौर ऐसा न हो कि उसकी वजह से मेरे पने लोगों को कष्ट हो। इसलिए पना कर्तव्य पूरी ईमानदारी से निभाएं।
विभाग को दिए ये तीन नए नारे-
1.- जब हम शिक्षित बनेंगे तब हमारा देश विकसित बनेगा।
2.- शिक्षित नागरिक, विकसित भारत।
3.- शिक्षित नौजवान, समृद्ध भारत।
देश के विकास का संकल्प दिलाया-
आदिम जाति कल्याण मंत्री ने सभी को संकल्प दिलाया कि- मैं भारत की प्रगति, विकास, खंडता अ ौर सुरक्षा के लिए कर्तव्य पथ पर निरतंर कार्य करने का प्रयास करुंगा। शासकीय कार्य के अतिरिक्त देश की प्रगति के लिए मुझे जो कार्य सौंपा जाएगा वह करुंगा। जिसे भी मदद की जरूरत पड़ेगी मैं अ पने सामथर््य के नुसार उसके लिए कार्य करुंगा। अ पने देश के लिए हर वक्त तैयार रहूंगा।