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झाबुआ

फर्जी डॉक्टर के इलाज से बच्चे की मौत पर हंगामा

4 घंटे क्लीनिक में रखा शव, फरार डॉक्टर की गिरफ्तारी तक उठाने से किया मना

झाबुआSep 13, 2018 / 12:50 am

अर्जुन रिछारिया

jhabua

फर्जी डॉक्टर के इलाज से बच्चे की मौत पर हंगामा

झाबुआ. जिले में फर्जी डॉक्टरों का कहर मासूमों की जान की आफत बनकर टूट रहा है। पिछले 3 सालों में लगभग 10 से अधिक मासूमों की मौत इन फर्जी डॉक्टरों के इलाज से हुई है । आदिवासी कुप्रथा के चलते पैसा लेकर मौत का सौदा कर दिया जाता है, इसलिए मामला कोर्ट कचहरी तक जाने से बच जाता है । आला अधिकारियों का भी इस ओर कोई ध्यान नहीं है।
मंगलवार देर शाम गायत्री गली में एक घर के अंदर चल रहे फर्जी क्लीनिक में बुखार से पीडि़त 4 वर्षीय बालक की इलाज के दौरान मौत हो गई। मौत के बाद गुस्साए परिजन ने क्लीनिक के अंदर बच्चे का शव रखकर जमकर हंगामा मचाया। स्थिति को भांपते हुए रहवासियों ने पुलिस को फोन कर सूचित किया। घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने पंचनामा बनाकर आक्रोशित परिजन को समझाने और कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया। पूरा मामला 4 घंटे तक चलता रहा। इस दौरान फर्जी डॉक्टर भाग निकला। मृतक बालक के पिता पोस्टमार्टम के लिए तैयार नहीं हुए। उनका कहना था कि डॉक्टर के गलत इलाज के कारण उनके बेटे की जान गई है , जब तक डॉक्टर नहीं गिरफ्तार होता बच्चे को कोई हाथ नहीं लगा सकता। बच्चे का शव उठाने के दौरान पुलिस और परिजन के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। रात को 9 बजे एक ऑटो रिक्शा में बालक का शव परीक्षण के लिए जिला अस्पताल पहुंचाया गया। मंगलवार को सुबह बामन सेमलिया निवासी अपा वसुनिया ने बुखार से पीडि़त अपने 4 वर्षीय पुत्र दिनेश को गायत्री गली में रहने वाले फर्जी डॉ. राकेश चौहान के यहां स्वास्थ्य परीक्षण करवाया। फर्जी डॉक्टर ने कुछ गोली-दवाइयां एवं एक इंजेक्शन लगाकर उन्हें जाने का कहा। अपने घर पहुंचते ही बालक बहुत बेचैन हो गया उल्टियां करने लगा एवं बेहोश हो गया। परिजन बालक दिनेश को फिर से फर्जी डॉक्टर के पास लेकर आए, लेकिन रास्ते में ही बालक ने दम तोड़ दिया। शाम को मृतक के परिजन डॉक्टर के यहां पहुंचे जिन्हें देखकर फर्जी डॉक्टर पिछले दरवाजे से भाग गया। इसके बाद क्षेत्र में 4 घंटे तक अफरा-तफरी का माहौल रहा।
दूसरे व्यक्ति के नाम से लाइसेंस
डॉ. राकेश चौहान के बारे में आसपास वालों ने बताया कि इसके पास डॉक्टरी की कोई भी डिग्री नहीं है। इसके द्वारा शिव शक्ति मेडिकल स्टोर दूसरे व्यक्ति के नाम से लाइसेंस लेकर संचालित किया जा रहा है। पूरे घर में दवाओं का भंडारण किया जाता है। जिले में अन्य क्षेत्र में इसकी सप्लाई की जाती है।4 घंटे तक मचे हंगामे के दौरान स्वास्थ्य विभाग से कोई भी आला अधिकारी मौके पर नहीं पहुंच सका। 2 माह पहले शनि मंदिर के पास में संचालित एक फर्जी डॉक्टर से भी एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग में जिले में चल रहे फर्जी चिकित्सालय एवं पर एक भी कार्रवाई करना उचित नहीं समझा। जिला स्तर पर यह हाल है तो ग्रामीण स्तर पर चिकित्सकीय गड़बडिय़ों का आकलन कर पाना नामुमकिन सा नजर आता है। पुलिस ने मर्ग कायम किया है। डॉक्टर की तलाश की जा रही है।

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