दरअसल, इस बार तीसरी लहर का खतरा लगभग टल गया है। इसलिए भगोरिया पर्व आयोजित होने पर कोई संशय नहीं है। सरकार ने शादियों में महमानों की संख्या से प्रतिबंध हटा दिया है। इसलिए माना जा रहा है कि भगोरिया पर्व मनाने पर भी कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा। इन दिनों खेल आयोजन, शासकीय आयोजन, विवाह समारोह, धार्मिक आयोजन एवं राजनीतिक आयोजन पूरी क्षमता के साथ आयोजित हो रहे हैं। ऐसे में होली के आसपास लगने वाले साप्ताहिक हाट बाजार या भगोरिया हाट बाजारों के आयोजनों को लेकर भी स्थिति अनुकूल मानी जा रही है। भगोरिया मेले में लोक संस्कृति के साथ आधुनिकता का समावेश रहेगा। भगोरिया पर्व मनाने दूर-दूर से समाजजन अपने गांव में पहुंचते है। पलायन पर गए परिवार भी अपने साथ लोक संस्कृति एवं आधुनिकता के रंग में नजर आते हैं। पारंपरिक वाद्य यंत्र जैसे ढोल मांदल के साथ पिछले कुछ सालों में डीजे का चलन भी भगोरिया मेले में देखने को मिल रहा है।
दो-तीन सालों में इसका चलन बढ़ गया
शरीर पर टैटू बनाना, आदिवासी संस्कृति का हिस्सा रहा है, लेकिन पहले जहां अपने नाम और धार्मिक चिह्न बनाए जाते थे, अब डिज़ाइनर टैटू ने इनकी जगह ले ली है। परंपरागत परिधानों के साथ जींस, टीशर्ट और सूट पहनकर ग्रामीण भगोरिया हाट में पहुंचते हैं। भगोरिया हाट में पहुंचने वाले युवा मोबाइल फोन में फोटो और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड भी करते हैं। पिछले दो-तीन सालों में इसका चलन बढ़ गया है।
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झाबुआ जिले में भगोरिया मेला इस तरह होगा आयोजित
11 मार्च- भगोर, मांडली, बेकलदा, कालीदेवी
12 मार्च- मेघनगर, राणापुर, बामणिया, झकनावदा
13 मार्च- झाबुआ, रायपुरिया, काकनवानी
14 मार्च-पेटलावद, रम्भापुर, मोहनकोट, कुंदनपुर, रजला, मेड़वा
15 मार्च- पिटोल, थांदला, खरडू, तारखेड़ी, बरवेट
16 मार्च- करवट, बोलासा, कल्याणपुरा, मदरानी, ढेकल, माछलियां, उमरकोट
17 मार्च-पारा, चैनपुरा, समोई, हरिनगर, सारंगी।
भगोरिया की शुरुआत जिले में 11 मार्च से होने जा रही है। इसके लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में टीएल की बैठक में रोडमैप तैयार किया जाएगा।
-लक्ष्मी नारायण गर्ग, एसडीएम