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झाबुआ जिले में ऐसा क्या है जहां लोक संस्कृति पर्व पर लगता है हजारों का मजमा

locationझाबुआPublished: Mar 28, 2021 12:17:02 am

Submitted by:

harinath dwivedi

भगोरिया में रिकॉर्ड तोड़ भीड़, पारंपरिक परिधानों में नृत्य से बांधा समा

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पारंपरिक पोशाकों में सजी-धजी आदिवासी युवतियों ने राणापुर भगोरिया में उत्साह के साथ भाग लिया।,भगोरिया मेले में आदिवासियों का जनसमूह उमड़ गया। राणापुर में झुले चकरी और दुकानों पर लोगों ने जमकर इनका लुत्फ लिया। आदिवासियों का यह पारंपरिक वार्षिक आयोजन है। इसमें आदिवासी समाज बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

राणापुर. भगोरिया में हजारों लोग मेले में आए । आसपास के 97 गांव के साथ आलीराजपुर जिले के सटे हुए उदयगढ़ , बोरी के भी कई गांवों के लोग जुड़ते हैं। करीब 1 बजे राणापुर में भगोरिया पूरे शबाब पर था। इस भीड़ ने कई वर्षो के रिकॉर्ड तोड़ दिया। भगोरिया अपने अंतिम चरण में है पर्व का 6 ठा दिन होने से लोगों भारी उत्साह था। गुजरी मैदान में लोग ढोल ओर मांदल की थाप पर मतवाले हो रहे थे। झुले चकरी, मौत का कुआं, मैजिक शो, लकड़ी झूले, साज श्रंृगार, ठंडा पेय, आमरस, कुल्फ ी की दुकनों पर भारी भीड़ जुटी । ढोल एवं मांदल पर लोग जमकर नाचे। बड़े-बड़े मांदल, गहनों से लदी युवतियां का समूह नाचने लगे। बर्फ के गोले, कुल्फ ी और पान का आनंद उठाया। कुछ गा्रमीण युवतिया डे्रस कोड में थिरकती हुईं नजर आई।
भगोरिया पर्व में आधुकनिकता का रंग चढा दिखाई दिया, महिला आधुनिक श्रृंगार कर कर आई थी। युवक जींस टीर्शट में अपना रंग दिखा रहे थे।
झकनावदा. भगोरिया हाट में मांदल की थाप पर ग्रामीण जमकर थिरके। आदिवासी पारंपरिक नृत्य से समा बांध दिया। लोक पर्व भगोरिया झकनावदा में पूरे जोर-शोर से उल्लास के साथ मनाया गया। भगोरिया हाट में बड़ी संख्या में हर वर्ग एवं आयु के लोग मांदल थाली में बांसुरी की मधुर ताल मिला करते हुए अपने गांव एवं फलिया से झकनावदा आते दिखे।
कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते ईश्वर से प्रशासन द्वारा आम व्यक्तियों से बार-बार मास्क लगाने की अपील की गई। वहीं कोरोना के चलते किसी भी राजनीतिक पार्टी ने भगोरिया पर्व में हिस्सा नहीं लिया। अपने पर्व पर अपने ही नेताओं द्वारा बनाई गई दूरी पर कई युवा आदिवासी अपने नेताओं से नाराज नजर आए और आपस में राजनीतिक प्रोग्रामों में नेता सम्मिलित होते हैं पर अपने आदिवासी पर्व पर अपने ही नेता नदारद रहे। वहीं कई युवक-युवतियां अपनी पारंपरिक वेशभूषा में सज -संवरकर नृत्य करते वह झूले चकरी का लुफ्त
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