अधिकृत तौर पर मानसून ने अंचल में दस्तक दे दी है। वायु तूफान की वजह से देरी जरूर हुई, लेकिन आमद जोरदार रही। रात में मेघों ने ऐसा राग मल्हार गाया कि झाबुआ में 3.5 इंच बारिश हो गई। जिले का औसत 2.16 इंच रहा। पश्चिमी मप्र में 15 जून तक मानसून दस्तक दे देता है।
इस बार 10 दिन की देरी हुई लिहाजा किसान भी तैयारी में जुट गए हैं। मौसम के जानकार अच्छी बारिश होने की संभावना जता रहे हैं। यानि जिले में बारिश औसत का आंकड़ा पार कर सकती है। यह स्थिति कृषि के साथ कारोबार के लिए फायदेमंद साबित होगी। इससे जहां एक तरफ पैदावार बढ़ेगी। बाजार के जानकारों के मुताबिक झाबुआ जिले की अर्थव्यवस्था पूरी तरह कृषि पर आधारित है और बारिश का इसमें अहम योगदान होता है।
झाबुआ में सर्वाधिक वर्षा, रामा में सबसे कम सोमवार की रात में जोरदार बारिश हुई। झाबुआ विकासखंड में सर्वाधिक 3.5 इंच बारिश रिकॉर्ड की गई। वहीं रामा विकासखंड में सबसे कम 0.8 इंच वर्षा हुई। इसके अलावा पेटलावद व राणापुर में 2 इंच से कुछ अधिक, थांदला में 1.8 इंच और मेघनगर में 2.6 इंच बारिश हुई। जिले का औसत 2.16 इंच रहा। इसके साथ ही अब तक कुल 4.1 इंच बारिश हो चुकी है। जबकि पिछले साल इस समय तक 2.9 इंच बारिश हुई थी।
मकान में उतरने वाले करंट को पास में रहने वाले लाइनमैन राजेश बारिया ने लाइन बंद करके दूर किया। रात भर बारिश हो रही थी। ऐसे में पड़ोसी शंकर मकवाना ने परिवार को अपने यहां रात गुजारने के लिए जगह दी। सोमवार रात तेज बारिश में मकान का पिछला हिस्सा पूरी तरह टूट गया। पास के कमरे में पूरा परिवार सो रहा था। किचन का एक हिस्सा गिरने से महीनेभर का राशन खऱाब हो गया। पानी पताशे का ठेला लगाने के लिए भी राशन नहीं बचा। मकान में लगाए पतरे पूरी तरह मुडक़र खराब हो चुके हैं।
मकान गिरने से किचन का सामान एक पुराना फ्रिज, पंखा, बिस्तर पेटी और इस महीने का सारा राशन खराब हो गया। अनाज भी खराब हो गया।25 हजार तक का नुकसान होने का अनुमान है। राजगढ़ नाके पर पानी पतासे की दुकान लगाने वाले राजकुमार ने बताया बीपीएल कार्ड धारी होने से मकान की मरम्मत कराना भी बस में नहीं। अभी तक कोई मकान देखने नहीं आया।