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बच्चों के पांव में सूजन आ गई, छाले पड़ गए, महामारी के खौफ से गांव लौटने की मजबूरी

locationझाबुआPublished: Mar 31, 2020 10:01:04 pm

Submitted by:

kashiram jatav

ठेकेदारों ने अफवाह फैलाई कि अभी 21 दिन का बंद है और यह आगे 3 महीने बंद रहेगा, तो मजदूरी भी नहीं मिलेगी

बच्चों के पांव में सूजन आ गई, छाले पड़ गए, महामारी के खौफ से गांव लौटने की मजबूरी

बच्चों के पांव में सूजन आ गई, छाले पड़ गए, महामारी के खौफ से गांव लौटने की मजबूरी

पिटोल. पिछले छह दिनों से मप्र और गुजरात की बॉर्डर पर बनी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट से आए मजदूर अपने गृह गांव की ओर दिन-रात पैदल तो कई वाहन से निकल पड़े। इतने कष्टों के बावजूद अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए हिम्मत नहीं हारी। जहां जैसी व्यवस्था मिली स्वीकार कर नतमस्तक होकर नाश्ता किया।
कभी भोजन-पानी मिला तो ठीक, नहीं मिला तो ईश्वर के भरोसे चल दिए, परंतु सातवें दिन पिटोल बॉर्डर पर मंगलवार को बिल्कुल सुनसान माहौल रहा। सातवें दिन जो लोग इक्का-दुक्का बॉर्डर पर आ रहे थे, जिन्हें बसों में बैठाकर मेघनगर, झाबुआ क्वॉरेंटाइन कैंप तक ले जाया जा रहा है। वहां उन्हें 14 दिनों तक रखकर उनके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी।
झाबुआ जिले में मेघनगर, थांदला, पेटलावद, झाबुआ मैं कैंप बनाए गए हैं। अभी भी कई पैदल यात्री भोपाल, आगरा, दसई, धार और कई लंबी जगहों मजदूर पैदल चलते हुए दिखाई दिए। जो क्वॉरेंटाइन कैंप से बचकर अपने गांव में पहुंचना चाहते हैं। ठेकेदारों को इन मजदूरों को अपना मेहनताना रुपए नहीं देना पड़े। इसी का फायदा उठाते हुए कई ठेकेदारों ने अफवाह फैलाई कि अगर यह अमीरों की और शहर में रहने वालों की बड़े लोगों की बीमारी है। तुम लोग अपने गांव में चले जाओ और गांव में यह बीमारी नहीं फैलेगी। तुम वहां सुरक्षित रहोगे। बस इतना सा कहना और सभी दूर से मजदूर अपने गांव काम के स्थानों से अपने घरों की ओर निकल गए। गांव में रहने वाले 4 युवाओं ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि ठेकेदारों ने बताया अभी 21 दिन का बंद है और यह आगे 3 महीने बंद रहेगा, तो मैं मजदूरी भी नहीं मिलेगी। खाना, पीना, रहना कैसे रहोगे। हम भी तुम्हारी ढाडक़ी नहीं दे पाएंगे। इसके कारण कई किलोमीटर तक शहरों में पैदल चले। इसमें हमारे छोटे -छोटे बच्चों के पांव में सूजन आ गई। छाले पड़ गए एवं भारी सामान के साथ हम लोग सडक़ों पर पैदल चल रहे थे। तब कोई आयशर तो कोई ट्रक पिटोल बॉर्डर तक हमें ले आई और पहुंचा दिया। इतने लोगों की भीड़ देखकर गुजरात सरकार द्वारा बसों तक बॉर्डर पर छोडऩे का काम किया, परंतु ठेकेदारों द्वारा थोड़ा सा मेहनताना दिया। बाकी हमें रवाना कर दिया।
बैठक में बॉर्डर पूरी तरह से बंद करने का निर्णय
लॉकडाउन के छठे दिन तक देश के सभी राज्य की सीमा पर लाखों लोगों की भीड़ और आवागमन का ऐसा माहौल दिखाई दिया जैसे कि देश में हिंदुस्तान पाकिस्तान के विभाजन के वक्त हुआ था। मंगलवार सुबह 10 बजे एसपी विनीत जैन के साथ उच्च अधिकारियों का दल एवं दाहोद जिले पुलिस कप्तान के साथ वहां के उच्च अधिकारियों के दल द्वारा बॉर्डर मीटिंग में तय किया कि बॉर्डर पूरी तरह से बंद कर दी जाएगी। जो मजदूर जहां पैदल चलते दिखाई दें उसे उसी राज्य के क्वारेंटन कैंप में ले जाकर रखा जाएगा।
सामाजिक संगठनों ने किया सार्थक प्रयास
विगत 6 दिनों तक झाबुआ के सकल व्यापारी संघ के अध्यक्ष नीरज राठौड़ के नेतृत्व में समस्त व्यापारी संघ के कार्यकर्ता दानदाताओं ने प्रतिदिन 10000 लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की। वही पिटोल के युवा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी सेवाभाव के साथ जैसा बना वैसा अपनी योग्यता अनुसार भोजन की व्यवस्था की। वही जैन समाज के संदीप जैन राज रतन एवरफ्रेश की ओर से 3000 भोजन के पैकेट की व्यवस्था कर वितरण किया। वही मेघनगर के समाजसेवी पप्पू भाई पूरणमल जैन ने 2 दिन तक पिटोल बॉर्डर पर भोजन के पैकेट की व्यवस्था कराई। एवं उन्होंने स्वयं भी 6 दिनों तक फुट तालाब में वनेश्वर हनुमान मंदिर भोजन की व्यवस्था की।
वाहन 24 घंटे तैनात रहेंगे
&पिटोल चेक पोस्ट बॉर्डर पूरी तरह सील कर दी गई है, परंतु जो लोग इक्का-दुक्का बॉर्डर पर आ रहे हैं, उनको को रनटाइम केंद्र तक ले जाने के लिए 6 बस एवं चार तूफान बॉर्डर पर 24 घंटे तैनात रहेगी।
-राजेश गुप्ता, परिवहन अधिकारी, झाबुआ
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