पलायन से आने वाले मजदूरों में अभी संक्रमण के लक्षण तो नहीं दिख रहे, परंतु जब यह पता चलेगा एवं अपने गृह गांव में किसी संक्रमित व्यक्ति को लक्षण मिलने पर पूरे गांव की स्थिति भयावह होगी। भिंड, ग्वालियर, झांसी, कोटा, नीमच, रतलाम, उज्जैन, खरगोन बड़वानी जिले के लोग प्रतिदिन हजारों की संख्या में आ रहे हैं।
युवा आदिवासी नेताओं ने दिखाई संजीदगी
भाजपा के पूर्व विधायक शांतिलाल बिलवाल एवं उनकी पूरी टीम पिछले 3 दिनों से पिटोल बॉर्डर पर पलायन से आने वालों की सेवा में लगी है। े झाबुआ के एसडीएम डॉ. अभय सिंह की टीम एवं प्रशासन लोगों को उनके गांव पहुंचाने में लगेे हैं। वहीं कांग्रेस विधायक प्रतिनिधि डॉ विक्रांत भूरिया भी सेवाएं दे रहे हैं। समय-समय पर आकर इन पलायन से आने वाले बंधुओं की जानकारी लेकर प्रशासन को अवगत कराते हैं। उनके साथ उनकी पूरी मेडिकल टीम होती है। झाबुआ का स्वास्थ्य, पुलिस जिले के नगर सैनिक के विभाग एवं समस्त लोग 24 घंटे अपना कर्तव्य निभा रहे हैं।
सामाजिक संगठनों की भूमिका सराहनीय
पिटोल के सामाजिक संगठनों एवं कार्यकर्ता पिछले 4 दिनों से मजदूरों की सेवा में लगे हैं। झाबुआ के सकल व्यापारी संघ के अध्यक्ष नीरज राठौर समस्त व्यापारी संघ के कार्यकर्ताओं के सहयोग से प्रतिदिन दस हजार लोगों के भोजन की व्यवस्था कर रहे हैं। पिटोल के सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा समोसे, खिचड़ी पानी के टैंकर खड़े किए हैं। जैन समाज के संदीप जैन भोजन के पैकेट मजदूरों को बांट रहे हैं। आरटीओ द्वारा चाय बिस्किट पोहा बांटा रहा है। भोजन खिचड़ी नाश्ता बांटने का कार्य चिराग फाउंडेशन एवं रोटी बैंक के कार्यकर्ता कर रहे हैं।
झाबुआ परिवहन विभाग के मुख्य अधिकारी राजेश गुप्ता ने 3 दिन बाद शनिवार को परिवहन चेकपोस्ट पिटोल बॉर्डर पर आए। उन्होंने भिंड के लोगों को बस से से पहुंचाया। जबकि 3 दिन से पिटोल एवं दाहोद के निजी बस मालिक मुकेश भाई, दिनेश मेवाड़ा मधु गौतम तथा दाहोद चामुंडा बस के मालिक जीवन भाई राजकोट, मैनेजर आरिफ खान द्वारा अपने निजी खर्चे से इंदौर, धार, उज्जैन, जावरा, नीमच, मंदसौर,झाबुआ जिले के लोगों को अपनी बसों से पहुंचा रहे हैं। वही 3 दिन पहले आरटीओ ने पिटोल बॉर्डर पर 9 बस भेजने को कहा था। जो आज तक नहीं दी गईं।