विस्थापित हुए माही प्रभावितों को 12 वर्ष बाद भी नहीं मिल सका मुआवजा
झाबुआPublished: May 12, 2023 01:04:31 am
न्यूनतम दर पर मिले मुआवजे से असंतुष्ट हैं किसान
12 गांवों के 806 किसानों की मांग


विस्थापित हुए माही प्रभावितों को 12 वर्ष बाद भी नहीं मिल सका मुआवजा
जामली. क्षेत्र की सबसे बड़ी परियोजना माही परियोजना जिनसे झाबुआ के अलावा अन्य जिले भी लाभांवित हो रहे हैं,लेकिन बांध के समय झाबुआ जिले के किसानों की जमीन डूब में चली गई।इसके मुआवजे की मांग को लेकर दस वर्षो से अधिक समय से मांग चली आ रही है।पिछले दो वर्षो में डूब प्रभावित किसान आठ-आठ दिन का दो बार धरना प्रदर्शन भी कर चुके हैं। दरअसल माही परियोजना मुख्य बांध पडोसी जिले धार और झाबुआ की सीमा पर बना हुआ है, जिसका भू-अर्जन 1990 में किसानों को दिया गया था, लेकिन झाबुआ जिले के 12 प्रभावित गांव के किसानों ने पुन: मुआवजे की मांग की। दरअसल पूर्व में किसानों को कम दर पर मुआवजा दिया गया,जिसके बाद लगभग लगातार किसान उचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
जनजाति आयोग से मिले किसान
सबसे बड़ी परियोजना माही बांध के डूब प्रभावित किसान अपनी मांगों को लेकर पिछले दिनों प्रभावित किसानों के दल के सदस्य अनुसूचित जनजाति आयोग दिल्ली में अधिकारियों से मिले।इस दौरान अपनी समस्या से अवगत करवाया। इसके बाद अधिकारियों के दल ने गांवों में पहुंचकर मामले की जांच की।इधर किसान मुआवजा ना मिलने को लेकर शासन को कोस रहे हैं।जानकारी के मुताबिक 12 गांवों के लगभग 806 किसान धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।वही 214.01 हेक्टेयर भूमि किसानों की डूब मे चली गई है।वहीं उचित दर पर मुआवजा ना मिलने और धार झाबुआ में मिले मुआवजे की विसंगति को लेकर भी किसान नाराजगी जता रहे हैं। सर्वे के विभिन्न विषयों को लेकर मांग बाकी है।शासन की प्रतिक्रिया का डूब प्रभावित किसान इंतजार कर रहे हैं।
वहीं किसानों ने कहा कि हमारी ङ्क्षसचित भूमि को अङ्क्षसचित बताकर मुआवजा दिया। हमारी जमीनों के कुएं तथा ङ्क्षसचाई की पाइप लाइन के मुआवजे को स्वीकृत किया, लेकिन जमीन को अङ्क्षसचित बताया।प्रभावित किसान सुखराम मावी ने बताया कि जुवानपुरा, धोलीखाली, कालीकराई आदि गांवों के किसानों की ङ्क्षसचीत भूमि थी, क्योंकि उनके पाईप लाईन, कुंए आदि दर्ज हैं, तो फिर उन्हें अङ्क्षसचित का मुआवजा क्यों मिला। राधु कतिजा ने बताया कि हमारे कुंए,पाइपलाइन की मोटरों के बिजली कनेक्शन थे, तो फिर हमारी जमीन अङ्क्षसचित कैसे हो गई।शासन को इन विसंगति की और ध्यान देना होगा।
नए स्थान को नहीं मिला आबादी क्षेत्र का दर्जा
धोलीखाली के पांच गांव धोलीखाली, कालीकराय, जुवानपुरा, सुखनेडा, झौंसरपाडा तथा ग्राम पंचायत बेकल्दा में वडलीपाडा ये गांव पूर्ण रूप से डूब में चले गए।जिसके बाद इन गांवों के निवासियों को नए स्थान पर बसाया गया।डूब में जाने से पूर्व इनका गांव आबादी क्षेत्र घोषित था, लेकिन आज की स्थिति में यह गांव जहां बसे हैं,वह आबादी क्षेत्र घोषित नहीं है। ऐसे मे बैंक संबंधित कार्य को लेकर भी परेशानी आ रही है।