scriptजलते अंगारों से निकलना, श्रद्धा और विश्वास की पराकाष्ठा | Getting out of burning coals, reverence and faith closeness | Patrika News

जलते अंगारों से निकलना, श्रद्धा और विश्वास की पराकाष्ठा

locationझाबुआPublished: Mar 22, 2019 10:48:34 pm

भोलेनाथ के मंदिर पर 14 फ ीट लंबी चूल पर 44 श्रद्वालु अंगारों पर चले

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जलते अंगारों से निकलना, श्रद्धा और विश्वास की पराकाष्ठा

पेटलावद. दहकते अंगारे,आग की लपटे,हाथ में पवित्र जल और श्रीफ ल लेकर 14 फ ीट लंबी आग की नदी से निकलते श्रद्वालु। इसमें महिलाएं,बच्चें और पुरूष शामिल है। इस आग के बीच से सकुशल निकल कर खुशी का इजहार करते मन्नतधारी गजब की संतुष्टी का अनुभव करते हैं। जहां पर श्रद्धा और विश्वास की पराकाष्ठा का संगम होता है।
श्रद्धा,भक्ति और विश्वास का परंपरागत अनूठा उदाहरण पेटलावद के टेमरिया में देखने को मिला। जहां बडी संख्या में श्रद्वालु धधकते अंगारों पर से होकर गुजरे। 100 वर्ष से भोलेनाथ के मंदिर पर मां हिगंलाज के आर्शीवाद से 14 फ ीट लंबी चूल पर 44 श्रद्वालु होलिका दहन के अगले दिन अंगारों पर चलते हैं। इसमें महिलाएं, बच्चें और युवा भी शामिल हैं। इस चूल पर शिक्षीत और अशिक्षीत सभी लोग चलते हैं और अपनी श्रद्धा और आस्था का परिचय देते हैं।
मंदिर के सामने 14 फ ीट लंबी और लगभग 2 फ ीट गहरी नाली खोदी जाती है। इसमें लकडियों से अंगारे तैयार किए जाते हैं। इसमें शुद्ध घी का प्रयोग होता है। इस जलते हुई चूल पर चलने के लिए मन्नतधारी पहले नदी पर जा कर पूजन पाठ कर चूल पर चलते हुए भगवान के दर्शन करने पहुंचते हैं। चूल पर चलने वाले मन्नतधारी अपनी मन्नत पूरी करने के लिए चूल पर चलते है। कई प्रकार की बीमारियों के निदान, निसंतान दंपती हो या परीक्षा में सफ लता हो या जीवन में कोई अन्य परेशानी को लेकर मन्नतधारी चूल पर चलने की मन्नत लेते हैं और होली के दूसरे दिन मन्नत उतारते हैं। यह परंपरा वर्षो से चली आ रही है। इसमें सैकडो लोग हिस्सेदारी करते हैं और खुशी खुशी मन्नतधारी दहकती हुई आग में निकलते है। मन्नतधारियों को किसी प्रकार की कोई क्षति नहीं होती है।
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