संगीता ने कहा कि नसिंग की पढ़ाई तो मैं अपने जिले से भी कर सकती हूं। अगर भोपाल चली जाती तो मैं अपने गांव के लोगों की सेवा कैसे करती? इसलिए मैंने जब देखा कि, गर्भावस्था के दौरान यहां कई महिलाओं की मृत्यु हो रही है और लोग बीमारी के चलते कर्ज में डूबे जा रहे हैं तो सोचा क्यों न इनके लिए कुछ किया जाए। फिर शिवगंगा समग्र ग्राम विकास परिषद से जुड़ी और मेरी ही तरह 15 लड़कियों का ग्रुप बनाया। करीब दो साल से हम डॉक्टरों से बात करके समय-समय पर स्वास्थ्य शिविर लगा रहे हैं।
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कर रही महिलाओं को शिक्षित
संगीता ने कहा महिलाओं को हम न सिर्फ स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कर रहे हैं बल्कि मार्केट के बारे में, पुलिस के सिस्टम के बारे में, एग्रीकल्चर और उनके अधिकार के बारे में भी जानकारी देते हैं। इसके अलावा उन्हें अस्पताल में एडमिट कार्ड बनवाना भी सीखाया गया है।
गांव-गांव जाकर बांट रहें आवश्यक पौध
संगीता कहती है जब कभी मैं अपनी टीम के साथ लोगों के घरों में जाती हूं तो पता चलता है ज्यादातर महिलाओं की मृत्यु प्रसव और गर्भावस्था के नौ महीनों के दौरान हुई हैं।इसका सबसे बड़ा कारण खानपान का सही न होना है। महिलाओं को सही पोषण नहीं मिलता है। वे रोजाना घर के कामकाज भी करती हैं ऐसे में उनकी हालत बिगड़ती है। खानपान सही न होने के कारण ही नवजात की मृत्यु होने की बात सामने आई। स्वास्थ्य शिविर लगवाए और महिलाओं को पोषण मिले इसलिए उन्हें 15 प्रकार के पौधे भी बांट रहे हैं जिसमें गिलोय, आंवला और जामुन, आम, कड़वा नीम आदि है।
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