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झाबुआ

जिंदा बालिका की जगह मृत बालक देने पर जिला अस्पताल में हंगामा

घोर लापरवाही: मृतक शिशु किसका है इसकी जानकारी नहीं, 4 घंटे तक अस्पताल बना छावनी, प्रसूता को लडक़ी हुई थी, अस्पताल के अधिकारियों ने माना गलती हुई

झाबुआSep 18, 2018 / 10:39 pm

अर्जुन रिछारिया

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जिंदा बालिका की जगह मृत बालक देने पर जिला अस्पताल में हंगामा

झाबुआ. जिला अस्पताल में एसएनसीयू वार्ड ने एक बार फिर अस्पताल की व्यवस्थागत कमियों को उजागर कर दिया। मंगलवार को एसएनसीयू वार्ड में भर्ती बालिका के परिजनों को बालक का शव देने के कारण हंगामा हो गया। अपनी एक गलती छुपाने के लिए अस्पताल प्रशासन ने अमानवीय घटना को अंजाम दे दिया। बोहरा में दफना नवजात के शव को निकाल कर उसका ***** परीक्षण किया गया। अस्पताल प्रशासन मृतक लडक़ी के शव को खोजने में लगा था।
एनएससीयू वार्ड में दो नवजात बालकों की मौत हुई थी। सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक डॉक्टरों की सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए अस्पताल छावनी में तब्दील हो गया। डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए 20 पुलिसकर्मी एसएनसीयू वार्ड में लगाए गए। अस्पताल के सारे आला अधिकारी वार्ड में मामले की पड़ताल करने पहुंचे। 4 घंटे की पड़ताल के बाद बालिका के परिजनों को बालिका सौंप दी। अस्पताल प्रशासन की भारी चूक सामने आने के बाद पूरे मामले में आला अधिकारी मीडिया से बचते नजर आए और एकञदूसरे को जिम्मेदार ठहराते रहे। चिकित्सालय इन स्टाफ एक समस्या को हल करने के बाद दूसरी समस्या में घिरा नजर आया। अब स्टाफ के सामने प्रश्न यह था कि जो मृतक बालक गलती से बालिका के परिजनों को सुपुर्द किया था उसके परिजन कौन हैं? इसके बाद यहां मौजूद सारे माता-पिता अपने अपने बच्चों को एनएससीयू वार्ड से निकालकर अन्यंत्र ले जाने की मांग करने लगे। पूरे मामले में जिला चिकित्सालय का कहना है मृतक बच्चा किसका है इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है।
बालक को बिना दफनाए अस्पताल लेकर आ गए : चंदा बाई पति ईश्वर खराड़ी ने 12 सितम्बर को कल्याणपुर में लडक़ी को जन्म दिया। वजन में कमजोर होने के कारण उस लडक़ी को 14 सितंबर को जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में उपचार के लिए भर्ती किया था। मंगलवार बालिका के परिजनों को भर्ती बच्चे की मौत की खबर देकर अस्पताल प्रशासन ने बालक का शव दे दिया। अंतिम संस्कार की क्रिया करते समय जब परिजन ने नवजात का ***** देखा तो सब चौक गए। उनको अपने साथ हुए अस्पताल प्रबंधन की इच्छा समझते देर नहीं लगी। वह बालक को बिना दफनाए ही सुबह 11 बजे अस्पताल लेकर आ गए। उनके साथ में गांव के लगभग 150 लोग पहुंचे और अस्पताल में एनएससीयू वार्ड में हंगामा करने लगे। गांव वालों की ऐसी भीड़ देखकर और अपनी गलती का एहसास होते ही मौजूद ड्यूटी डॉक्टर ने आला अधिकारियों को पूरी बात बताई। कुछ ही देर में एसएनसीयू वार्ड में सीएमएचओ डीएस चौहान, सिविल सर्जन आरएस प्रभाकर, डॉ आईएस चौहान, डॉ नवीन बामणिया , डॉ सचिन बामणिया, डॉ. संगीता हटीला स्टाफ के साथ मौजूद थे। इस दौरान टीआई केएल त्रिपाठी के साथ 20 पुलिसकर्मियों का दल भी अस्पताल में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए पहुंचा। लगभग 4 घंटे जांच करने के बाद के दोपहर 3 बजे बालिका के परिजन को बालिका वापस लौटा दी, लेकिन एक मामला हल होने के बाद
दूसरा मामला वार्ड के बाहर तैयार हो गया था।
&रैफर स्लिप में जो विवरण आता है उसमें मेल फीमेल के बारे में जानकारी दर्ज नहीं की जाती। हमारे यहां पर आज दो बच्चे सीरियस हैं। इसमें से एक बालिका थी। एक बालक था, लेकिन बालक के मौत के बाद बालिका के परिजन को दूसरे स्टाफ ने उसका शव गलती से दे दिया। इजसके कारण या पूरा हंगामा मचा। गलती से दूसरे को दिए मृतक बालक के परिजनों का पता लगा रहे हैं।
-डॉ आईएस चौहान,
एनएससीयू प्रभारी।
स्टाफ स्तर पर लापरवाही हुई
&स्टाफ स्तर पर लापरवाही हुई है। जिसमें की सही व्यक्ति को फोन करने में चूक हुई है। मृतक बच्चा किसका है इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है।
-डॉ आरएस प्रभाकर,
सिविल सर्जन।
मां दूघ पिलाने के लिए परेशान हुई
एनएससीयू वार्ड में मंगलवार को 39 बच्चे भर्ती थे। इसमें 2 बच्चों की मौत हो गई। मौत हुई दोनों नवजात लडक़े थे। इस दौरान वहां पर उपस्थित मां अपने बच्चों को दूध पिलाने के लिए परेशान होती रही। उन्होंने बताया कि 6 घंटे पहले बच्चों को दूध पिलाया था। भूख के मारे बच्चे परेशान हो रहे होंगे, लेकिन इस माहौल मैं अस्पताल वाले उन्हें बच्चों को दूध पिलाने से मना कर रहे हैं। अफरा-तफरी का माहौल देखकर और चिकित्सकों की गलतियों के कारण यहां भर्ती बच्चों के माता-पिता अपने अपने बच्चों को ले जाने की मांग करने लगे।
शव को निकालकर परीक्षण किया
गलती को छुपाने के लिए चिकित्सालय स्टाफ से मानवता को शर्मसार करने वाली दूसरी गलती हो गई। भोयरा निवासी मुकेश पारसिंह के नवजात बालक को दफनाने के बाद सुबह साढ़े 12 बजे चिकित्सालय स्टाफ ने दफना नवजात के शव को निकालकर ***** परीक्षण किया। जब नवजात लडक़ा निकला तो उसको वही दफना दिया। जबकि नियमानुसार प्रशासनिक अधिकारी के समक्ष दफनाए गए शव को निकालकर परीक्षण किया जाता है।

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