नोटिस हाथीपावा की पहाड़ी के प्रवेश द्वार पर चस्पा किया गया है। शहर में ऐसा कोई स्थान नहीं था जहां लोग परिवार सहित जाकर पिकनिक मना सके। एसपी महेश चंद जैन के प्रयासों से हाथी पावा की पहाड़ी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया। यहां करीब 10 हजार पौधे लगाए गए हैं। बच्चों के लिए झूले चकरी लगवाए गए हैं। छुट्टी वाले दिन यहां पर सैकड़ों पर्यटक पिकनिक मनाने आते है। चूंकि बड़ी तादाद में महिलाएं भी होती है, ऐसे में सुविधा घर की कमी महसूस की जा रही थी। कई बार लोग इस सम्बन्ध में मांग भी उठा चुके थे। इसके मद्देनजर पंचायत द्वारा सामुदायिक भवन के पास ही सुविधा घर का निर्माण किए जाने की तैयारी चल रही थी। आरईएस विभाग द्वारा यहां बाकायदा ले आउट भी डाल दिया गया। जब इसकी जानकारी डीएफओ को लगी तो उन्होंने तत्काल काम रुकवाने के साथ ग्राम पंचायत के सरपंच को नोटिस जारी कर दिया। जिसे लेकर विरोध के स्वर भी उठ रहे हैं।
हाथीपावा की पहाड़ी को पर्यटन स्थल के रूप में संवारने के लिए जो प्रयास हुए हैं, उन्हें देखने के लिए प्रदेश की राज्य पाल आंनदी बेन के साथ प्रभारी मंत्री विश्वाश सारंग सहित कई बड़े नेता और अधिकारी आ चुके है। सभी ने यहां किए गए कार्यों की सराहना की। 15 अगस्त को पहाड़ी के ही एक हिस्से में प्रदेश का तीसरा सबसे ऊंचाई पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। जो शहर के हर कोने से नजऱ आता है।
रेंजर को लिखा पत्र
डीएफओ शुक्ला ने अपने ही विभाग के रेंजर पैट्रिक रावत को भी एक कड़ा पत्र लिख दिया। इसमें उन्होंने उल्लेख किया है कि वन परिक्षेत्र झाबुआ के कक्ष 295 हाथी पावा में ग्राम पंचायत कालापीपल को सामुदायिक भवन निर्माण के लिए 0.98 0 हेक्टेयर वन भूमि व्यप वर्तन की मंजूरी दी है। इसके अनुसार वन क्षेत्र में सामुदायिक भवन के आलावा अन्य कोई निर्माण होता है तो रेंजर के साथ ही डिप्टी रेंजर और बीट गार्ड को वन संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन का दोषी मानते हुए कार्रवाई की जाएगी।
हाथीपावा की पहाड़ी को पर्यटन स्थल के रूप में संवारने के लिए जो प्रयास हुए हैं, उन्हें देखने के लिए प्रदेश की राज्य पाल आंनदी बेन के साथ प्रभारी मंत्री विश्वाश सारंग सहित कई बड़े नेता और अधिकारी आ चुके है। सभी ने यहां किए गए कार्यों की सराहना की। 15 अगस्त को पहाड़ी के ही एक हिस्से में प्रदेश का तीसरा सबसे ऊंचाई पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। जो शहर के हर कोने से नजऱ आता है।
रेंजर को लिखा पत्र
डीएफओ शुक्ला ने अपने ही विभाग के रेंजर पैट्रिक रावत को भी एक कड़ा पत्र लिख दिया। इसमें उन्होंने उल्लेख किया है कि वन परिक्षेत्र झाबुआ के कक्ष 295 हाथी पावा में ग्राम पंचायत कालापीपल को सामुदायिक भवन निर्माण के लिए 0.98 0 हेक्टेयर वन भूमि व्यप वर्तन की मंजूरी दी है। इसके अनुसार वन क्षेत्र में सामुदायिक भवन के आलावा अन्य कोई निर्माण होता है तो रेंजर के साथ ही डिप्टी रेंजर और बीट गार्ड को वन संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन का दोषी मानते हुए कार्रवाई की जाएगी।
ये हैं नियम
अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासी अधिनियम 2006 की धारा 3;2 के तहत शासन द्वारा प्रबंधित सुविधाओं के लिए 1 हेक्टेयर से कम वन भूमि और 75 वृक्षों से कम वृक्ष प्रभावित होने की वनभूमि के गैर वन उद्देश्यों के विस्थापन के लिए वन भूमि के प्रत्यावर्तन की अनुमति के लिए डीएफओ को अधिकार दिए है। इसके तहत ही डीएफओ ने अनुमति भी दी और पंचायत द्वारा निर्माण कार्य किया जा रहा था।
नियमों का उल्लंघन नहीं किया
&हाथीपावा की पहाड़ी पर जो भी निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। वह स्वीकृत क्षेत्र में ही हो रहे हैं। कहीं भी नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया। डीएफओ का पत्र मिला है। उसका जवाब तैयार कर रहा हूं।
-पैट्रिक रावत, रेंजर झाबुआ
आदेश होंगे उन पर अमल करेंगे
&मेरी जानकारी में आया है की डीएफओ ने सुविधा घर निर्माण पर आपत्ति जताई है। कलेक्टर के निर्देश पर ही कार्य किया जा रहा था। जैसे आदेश होंगे उन पर अमल किया जाएगा।
-संजय सोलंकी, ईई आरईस झाबुआ
अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासी अधिनियम 2006 की धारा 3;2 के तहत शासन द्वारा प्रबंधित सुविधाओं के लिए 1 हेक्टेयर से कम वन भूमि और 75 वृक्षों से कम वृक्ष प्रभावित होने की वनभूमि के गैर वन उद्देश्यों के विस्थापन के लिए वन भूमि के प्रत्यावर्तन की अनुमति के लिए डीएफओ को अधिकार दिए है। इसके तहत ही डीएफओ ने अनुमति भी दी और पंचायत द्वारा निर्माण कार्य किया जा रहा था।
नियमों का उल्लंघन नहीं किया
&हाथीपावा की पहाड़ी पर जो भी निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। वह स्वीकृत क्षेत्र में ही हो रहे हैं। कहीं भी नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया। डीएफओ का पत्र मिला है। उसका जवाब तैयार कर रहा हूं।
-पैट्रिक रावत, रेंजर झाबुआ
आदेश होंगे उन पर अमल करेंगे
&मेरी जानकारी में आया है की डीएफओ ने सुविधा घर निर्माण पर आपत्ति जताई है। कलेक्टर के निर्देश पर ही कार्य किया जा रहा था। जैसे आदेश होंगे उन पर अमल किया जाएगा।
-संजय सोलंकी, ईई आरईस झाबुआ