scriptकब तक खुदती रहेंगी बनी सडक़ें, कब मिलेगा लोगों को पानी | How long will the roads stay, when people will get water | Patrika News

कब तक खुदती रहेंगी बनी सडक़ें, कब मिलेगा लोगों को पानी

locationझाबुआPublished: Sep 17, 2018 12:26:20 am

मुद्दों की राजनीति कैसे हो : सरकारी हॉस्पिटल के हाल-बेहाल, मरीज इलाज के लिए गुजरात राज्य जाने को मजबूर
 
 
 
 
 

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कब तक खुदती रहेंगी बनी सडक़ें, कब मिलेगा लोगों को पानी

झाबुआ. राजनीतिक दल और उम्मीदवार तो हर बार अपना घोषणापत्र बनाते हैं और भूल जाते हैं। घोषणा पत्र में क्या वादे किए, कितने पूरे किए। कितने भूल गए। पर अब जनता खुद अपना एजेंडा तय करेगी। जनता से को क्या चाहिए। यह वह खुद बताएगी। इसी कड़ी में झाबुआ विधानसभा में पत्रिका ने जनता के एजेंडे पर चर्चा की।
पत्रिका कार्यालय पर दोपहर 12 बजे सभी वर्ग के लोग एकत्रित हुए और अपनी मांगों का एजेंडा बनाया। बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा के बाद ऐजेंडा बना। जनता का एजेंडा बताने के लिए मनीष त्रिवेदी, विनोद पाल , मनोहर बैरागी, प्रेम भाबोर, नितेश डामोर, अश्विन गुप्ता, प्रेम पाल, आसाराम हटीला उपस्थित हुए। जिन्होंने खुलकर अपनी मांगे रखी। बैठक में मुख्य रूप से शहर में पेयजल समस्या चरमराने। पीएचई विभाग द्वारा जगह-जगह गड्ढे खोदने के बाद भी पानी की समस्या के हालात तो नहीं बदले, अपितु सडक़ की हाल भी खस्ता हो चुके है। नगर की हर एक सडक़ लगभग 10 बार खुद चुकी है। फिर भी लीकेज बंद नहीं हो रहा। जनता के पैसों को पीएचई, नगर पालिका एवं परिवहन विभाग चूना लगा रहे हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। सरकारी हॉस्पिटल के हाल बेहाल हैं। अधिकतर मरीज गुजरात जाने को मजबूर हैं। गंभीर दुर्घटना में घायल लोग गुजरात में जाने के पहले ही लोग दम तोड़ देते हैं। जो सडक़ें 5 साल के मेंटेनेंस के करार से बनाई गई। वह चंद महीनों में उखडक़र दम तोड़ रही हैं और उस पर कोई मेंटेनेंस कार्य भी नहीं किया जा रहा। सीमेंट की सडक़ों पर डामर से लीपापोती की जा रही है और डामर की सडक़ों पर सीमेंट से लीपापोती की जा रही है।
ये मुद्दे भी एजेंडे में शामिल
ठ्ठ झाबुआ से देवरी पहुंचने का मार्ग भी बहुत खराब हो गया है।
ठ्ठ नगर की ट्रैफिक के हाल बहुत खस्ता हैं। नगर की हर मुख्य सडक़ पर प्रतिदिन हादसे हो रहे हैं। हर सडक़ पर रेत और गिट्टी बिखरी पड़ी है। नाबालिग उच्च क्षमता वाले इंजन वाली गाडिय़ां बेखौफ थोड़ा रहे हैं। ट्रैफिक जवानों की ड्यूटी हर चौराहे पर जरूरी हो गई है।
ठ्ठ रोड के हिसाब से डिवाइडर होने चाहिए, लेकिन यहां पर डिवाइडर काफी चौड़े और रोड बहुत पतले हैंद्ध सर्किल मोटे हैं और उस पर से गुजरने वाले रास्ते छोटे हैं। विकास के नाम पर खोदे गए रोड जनता को परेशानी में जकड़े हुए हैं । शहर की अधिकांश सडक़ खुदी पड़ी हैं।
ठ्ठ शहर के तालाबों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। लाखों करोड़ों की योजनाएं इन तालाबों पर जनता का पैसा पानी कर रही है, लेकिन स्थिति सुधारने का जगह और भी बिगड़ती जा रही है। तालाबों की साफ.-सफाई एवं सौंदर्यीकरण एक बड़े भ्रष्टाचार को जन्म दिया है।
ठ्ठ सार्वजनिक शौचालयों की पूरे नगर में आवश्यकता है। नगर में केवल एक ही सार्वजनिक शौचालय बस स्टैंड पर है । उसमें भी पैसे लिए जा रहे हैं। जबकि नगर पालिका को मेल और फीमेल दोनों यात्रियों के लिए सार्वजनिक शौचालय एवं स्नानागार सर्वसुविधायुक्त बनाना चाहिए।
ठ्ठ हाट बाजार करने आए लोगों को राजगढ़ नाके पर कोई सुविधाएं नहीं है। इन लोगों के लिए भी सुविधा घर बनाए जाने की नितांत आवश्यकता है।
ठ्ठ नगर में खेल सुविधाएं , व्यायामशाला , ट्रैफिक सिग्नल, रेल सुविधा , लाइब्रेरी और बाग-बगीचों पर फोकस होना चाहिए।
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