मेघनगर ब्लॉक के गुंदीपाड़ा में रहने वाली अंकिता अनिल मेडा 4 वर्ष की है, इसके पैरों में टेढ़ापन है। सरपट दौडऩे की उम्र में फ्लोराइड ने जकड़ लिया है। घर के पास लगे हैंडपंप में हाइफ्लोराइड की मात्रा है। इस पानी को पीने से अंकिता को फ्लोरोसिस हो गया है। अंकिता के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। जिले में काम नहीं मिलने के कारण पूरा परिवार पलायन पर रहता है। पीथनपुर निवासी काली एवं भूरी बिलवाल दोनों चचेरी बहन है। भूरी के माता-पिता को पोलियो है। भूरी एवं काली के पैर फ्लोराइड युक्त पानी पीने से टेढ़ेे हो गए हैं। धावलिया की वंती पारू डामोर एवं शिवा भी इस बीमारी की चपेट में हैं। मासूमों से उनका बचपन सिर्फ इस वजह से छिन गया कि सरकार उन तक शुद्ध पेयजल नहीं पहुंचा सकी है। पेयजल पहुंचाना तो दूर फ्लोराइड युक्त पानी ना पीने के लिए लोगों में जागरूकता भी नहीं दिखाई देती। विभाग को फ्लोराइड युक्त गांव को चिह्नित कर गांव के सभी लोगों को इस बीमारी के संबंध में जागरूक करने की आवश्यकता है। फिलहाल सभी जिम्मेदार शासन की योजनाओं का हवाला देकर फ्लोराइड पर नियंत्रण पाने का दावा कर रहे हैं। लेकिन धरातल पर जिले में पोस्ट खाली है, 4 जिलों में एक कंसलटेंट है।
अब तक कोई कारगर उपचार नहीं
फ्लोरोसिस एक ऐसी बीमारी है जो पीने के पानी के कारण होती है खास बात यह है कि फ्लोरोसिस बीमारी वायरस या जीवाणुओं से उत्पन्न नहीं होती है इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि इसका अभी तक कोई कारगर उपचार भी नहीं है। यही कारण है कि इंटरनेशनल स्टैंडर्ड जैसे अमेरिकन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन , वल्र्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन, मिनिस्ट्री ऑफ अर्बन डेवलपमेंट व इंडियन स्टैंडर्ड सभी ने पीने के पानी में फ्लोराइड की अधिकतम मात्रा 1.5 पीपीएम निर्धारित की है। मानव शरीर में फ्लोराइड की अधिकतम मात्रा पीने के पानी से टूथपेस्ट से दवाइयों से और भोज्य पदार्थों से पहुंचती है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने पुष्टि की है कि टूथपेस्ट में फ्लोराइड स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है । 7 वर्ष से कम आयु के बच्चों को टूथपेस्ट का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
फ्लोरोसिस एक ऐसी बीमारी है जो पीने के पानी के कारण होती है खास बात यह है कि फ्लोरोसिस बीमारी वायरस या जीवाणुओं से उत्पन्न नहीं होती है इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि इसका अभी तक कोई कारगर उपचार भी नहीं है। यही कारण है कि इंटरनेशनल स्टैंडर्ड जैसे अमेरिकन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन , वल्र्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन, मिनिस्ट्री ऑफ अर्बन डेवलपमेंट व इंडियन स्टैंडर्ड सभी ने पीने के पानी में फ्लोराइड की अधिकतम मात्रा 1.5 पीपीएम निर्धारित की है। मानव शरीर में फ्लोराइड की अधिकतम मात्रा पीने के पानी से टूथपेस्ट से दवाइयों से और भोज्य पदार्थों से पहुंचती है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने पुष्टि की है कि टूथपेस्ट में फ्लोराइड स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है । 7 वर्ष से कम आयु के बच्चों को टूथपेस्ट का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
जिले में फ्लोराइड ड्रग एंड कॉस्मेटिक
एक्ट 1992 का पालन नहीं
एक सर्वे के अनुसार टूथपेस्ट का इस्तेमाल बच्चों द्वारा बड़ी संख्या में किया जाता है । पेस्ट का स्वाद अच्छा लगने की वजह से कई बार बच्चे उसे खा लेते हैं । जिससे उनके कोमल दातों में कैल्शियम क्लोराइड का विपरीत प्रभाव पड़ता है । इसलिए शासन को छोटे बच्चों द्वारा ऐसे टूथपेस्ट के प्रयोग पर पाबंदी लगाकर फ्लोराइड मुक्त टूथपेस्ट बनाना चाहिए। लेकिन एक्ट का पालन आज तक
नहीं किया गया है, ना ही ऐसे आदेशों को संबंधित विभाग को तक पहुंचाया गया है।
एक्ट 1992 का पालन नहीं
एक सर्वे के अनुसार टूथपेस्ट का इस्तेमाल बच्चों द्वारा बड़ी संख्या में किया जाता है । पेस्ट का स्वाद अच्छा लगने की वजह से कई बार बच्चे उसे खा लेते हैं । जिससे उनके कोमल दातों में कैल्शियम क्लोराइड का विपरीत प्रभाव पड़ता है । इसलिए शासन को छोटे बच्चों द्वारा ऐसे टूथपेस्ट के प्रयोग पर पाबंदी लगाकर फ्लोराइड मुक्त टूथपेस्ट बनाना चाहिए। लेकिन एक्ट का पालन आज तक
नहीं किया गया है, ना ही ऐसे आदेशों को संबंधित विभाग को तक पहुंचाया गया है।