पूछताछ में डकैत नाहरसिंह ने बताया वह 15 साल का था तब से ही अपने गांव की गिरोह के साथ मिलकर रापी लगाकर वाहन चालकों को लूटने की वारदातों में लग गया था। उस वक्त लूट के बाद गिरोह के सदस्य उसे 100 से 500 रुपए तक देते थे। बाद में नाहरसिंह ने अपने भाई अकरमसिंह के साथ मिलकर खुद की गैंग बना ली और रापी गाड़कर वाहन चालकों को लूटना शुरू कर दिया। उसने अब तक कितनी रांपी लगाई यह भी उसे याद नहीं है। एसपी विनीत जैन ने बताया बदमाश नाहरसिंह गिरोह के सदस्यों के साथ मुख्य मार्ग पर रात में आने-जाने वाले चार पहिया वाहनों को अपना निशाना बनाता था। इसके लिए वह रोड पर पत्थर की रांपी लगा दिया करता था। जैसे ही कोई वाहन गुजरता, रांपी लगने से वह पंचर हो जाता। जब वाहन चालक टायर बदलने के लिए गाड़ी रोकता तो झाडिय़ों में छिपे गिरोह के अन्य सदस्य पत्थर और लाठी से अचानक हमला कर वाहन में बैठे यात्रियों के साथ लूटपाट कर लेते थे। फिर अंधेरे का फायदा उठाकर घटनास्थल से दूर जंगलों में भागकर छुप जाते। बदमाश एक बार में दो से तीन वाहनों को निशाना बनाते।
रंगपुरा में अनास नदी की पुलिया के नीचे से पकड़ा
ए सपी विनीत जैन ने बताया नाहरसिंह की लंबे समय से तलाश जारी थी। इस बीच 19 फरवरी को मुखबिर से सूचना मिली कि वह रंगपुरा में अनास नदी की पुलिया के नीचे बैठा है। इसके बाद थाना कोतवाली की टीम के साथ क्राइम ब्रांच और सायबर सेल की टीम ने घेराबंदी कर उसे धरदबोचा। उसे 19 फरवरी को ही न्यायालय में पेश किया गया। जहां से रिमांड ली गई। बदमाश नाहरसिंह ने मप्र के साथ ही राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में भी वारदात को अंजाम दिया। आरोपी की गिरफ्तारी में थाना प्रभारी सुरेंद्र गाडरिया, एएसआईराजेंद्र शर्मा, प्रधान आरक्षक सुनील, आरक्षक रूपेश गरवाल, रतन, मनोहर, तानसिंह, सुनील, सायबर सेल के मंगलेश, महेश व संदीप की अहम भूमिका रही।