कुछ माह पहले रोटी बनाने की मशीन खराब होने के बाद मशीन ठीक करने वाला इंजीनियर नहीं पहुंचा। हाथ से रोटी बनाने के लिए लेबर 30 हजार से 50 हजार रुपए महीना खर्च बचाने के लिए जरूरतमंद लोगों को दाल चावल बनाकर खिलाए। परिवर्तनों के चलते धीरे-धीरे भोजन करने वालों की संख्या 25 से भी कम हो गई। इससे जुड़े लोगों ने 9 महीने इस परिस्थिति से उबरने की कोशिश की, लेकिन लाखों रुपए बकाया होने से आर्थिक बोझ बढ़ता देख भोजन शाला बंद करना पड़ी।
&1 जनवरी 2019 से हमारा पैसा रोक दिया। 11 माह के अंदर सब्जी गैस राशन को मिलाकर साढ़े 3 लाख रुपए का कर्जा हो गया था। सवा लाख रुपए योजना की राशि जमा है। वह भी प्रशासन द्वारा रोक ली गई। यहां पर 700 से भी अधिक लोग प्रतिदिन खाना खाने पहुंचते थे, लेकिन पिछले कुछ महीनों में यह सख्?या 25 तक पहुंच गई थी। 28 नवंबर को नगर पालिका को बंद करने की सूचना दी थी 30 नवंबर तक चलाया । 1 दिसंबर से यह पूरी तरह बंदकर दिया।
-मनोज शर्मा, संचालक।
&यह योजना राज्यशासन संचालित करती थी , जो सरकार बदलने पर बंद कर दी गई। हम राज्य सरकार से मांग करेंगे योजना फिर से शुरू की जाए।
-गुमानसिंह डामोर, सांसद।
&इस योजना मेंबहुत अनियमितता हो रही थी। एक ही तरहका खाना खिलाया जा रहा था। जबकि सभी तरह का खाना खिलाया जाना था। जनता के पैसों का दुरुपयोग हो रहा था। इसलिए यह बंद की गई है।
– डॉ.विक्रांत भूरिया, कांग्रेस नेता
गरीबों के हक की है, ऐसे ही बंद नहीं हो सकती-
&अंत्योदय रसोई बंद होने की बात सुनी है। मैं देखता हूं कैसे बंद हो गई। इसके लिए समय-समय पर संचालकों की मदद की गई। काफी पैसा दिया। योजना गरीबों के हक़ ही है । ऐसे ही बंद नहीं हो सकती।
-डॉ. अभयसिंह खराडी, एसडीएम।
&मशीन बंद हो गई थी। हो सकता है फ ण्ड की कमी हो। मैं पता करता हूं क्या हुआ ।
एलएस डोडिया, सीएमओ नपा।