मंडी में इन दिनों जिलेभर के किसान अपनी कपास लेकर पहुंच रहे हैं। पिछले सप्ताह की तुलना में कपास में 200 रुपए का उछाल देखने को मिला। डीसीएच कपास का मूल्य पिछले सप्ताह 68100 से 7000 थी। वहीं इस सप्ताह 7 हजार से 72 सो रुपए तो वही एमसीएच कपास का भाव दोनों सप्ताह समान रहा।
अच्छे कपास का भी सही दाम नहीं मिला- कालापीपल के किसान नाना पिता मडिय़ा ने बताया कि बिना बोली 30 क्विंटल कपास बिना बोली लगाए बेचना पड़ा। अच्छे कपास का भी सही दाम नहीं मिला। डूंगरा लालू के वागजी पिता मेघजी ने परिवार के सभी सदस्यों के हिस्से में आया 70 क्विंटल कपास सीधे व्यापारी को बेचा। कालापान के पांगला पिता हकरु ने बताया कि 20 क्विंटल कपास के पर्याप्त पैसे नहीं मिले।
मंडी में कपास खरीदने वाले व्यापारियों ने मुख्य दरवाजे तक कपास जमा रखा है। तीन वर्ष पहले शॉर्ट सर्किट की वजह से 4 से 5 व्यापारियों के कपास में अचानक आग लगने से इन व्यापारियों का लाखों का नुकसान हुआ था। इस बार मंडी में फायर ब्रिगेड की कोई व्यवस्था नहीं है। 3 वर्ष पहले तत्कालीन कलेक्टर आशीष सक्सेना ने झाबुआ मंडी में कपास में आग लगने के बाद फायर ब्रिगेड, पुलिस डायल 100, 108 सुविधाओं की भी व्यवस्था की थी। उनके यहां से जाने के बाद मंडी में बोली तक लगना बंद हो गई। मंडी में अनाज व्यापारियों के लिए बैठने की जगह पहले से ही पर्याप्त नहीं है। इसके बावजूद भी यहां 1 महीने से अज्ञात व्यक्ति द्वारा डीजे का वाहन खड़ा किया जा रहा है। व्यापारियों ने इसे वहां से हटाने की बात कही।
१. पिछले 1 सालों से मंडी में बोली नहीं लग रही है। इससे किसानों को उचित दाम नहीं मिलने के कारण नुकसान हो
रहा है।
२्र. मंडी में इन दिनों कम किसान पहुंच रहे हैं । इसलिए बोली नहीं लगवा रहे हैं।
३. बोली लगने वाले स्थान पर वाहनों की पार्किंग एवं ठेला लगाकर व्यापार किया जा रहा है।्र. एसडीओ और हमने
मंडी में निरीक्षण कर अव्यवस्था देखी । व्यवस्था बनाने का प्रयास कर रहे हैं।