scriptमंडी प्रशासन हर बार कहता रहा, पर एक साल से नहीं लगी बोली | Mandi administration kept saying every time, but did not bid for a yea | Patrika News

मंडी प्रशासन हर बार कहता रहा, पर एक साल से नहीं लगी बोली

locationझाबुआPublished: Dec 15, 2019 09:49:42 pm

Submitted by:

kashiram jatav

मंडी की ओर से कोई कर्मचारी ड्यूटी पर नहीं रहता, किसान सीधे ही अपना माल लाकर व्यापारी को बेचकर चला जाता है

मंडी प्रशासन हर बार कहता रहा, पर एक साल से नहीं लगी बोली

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झाबुआ. मंडी में आग लगी तो आपदा प्रबंधन के इंतजाम नहीं है। यहां पर फायर ब्रिगेड की जगह डीजे वाहन रखा है। रविवार मंडी में लगभग 800 क्विंटल कपास खरीदा गया। सालभर से मंडी में पहुंच रहे किसान अपनी फसल को बिना बोली लगाए ही बेच रहे हैं। जबकि मंडी प्रशासन हर बार कहता रहा है कि बोली लगेगी। इससे किसानों को फसल का उचित दाम नहीं मिल रहा।
रविवार को भी अपने वाहनों में अनाज लेकर मंडी में बेचने वाले किसान व्यापारियों के यहां सीधे अनाज बेचते देखे गए। बिना बोली लगाए माल खरीदने पर जब व्यापारियों से पूछा तो उन्होंने बताया कि मंडी की ओर से कोई कर्मचारी ड्यूटी करते नजर नहीं आता। किसान सीधे ही अपना माल लेकर अपने पहचान के व्यापारी को बेचकर चला जाता है।
मंडी में इन दिनों जिलेभर के किसान अपनी कपास लेकर पहुंच रहे हैं। पिछले सप्ताह की तुलना में कपास में 200 रुपए का उछाल देखने को मिला। डीसीएच कपास का मूल्य पिछले सप्ताह 68100 से 7000 थी। वहीं इस सप्ताह 7 हजार से 72 सो रुपए तो वही एमसीएच कपास का भाव दोनों सप्ताह समान रहा।
अच्छे कपास का भी सही दाम नहीं मिला- कालापीपल के किसान नाना पिता मडिय़ा ने बताया कि बिना बोली 30 क्विंटल कपास बिना बोली लगाए बेचना पड़ा। अच्छे कपास का भी सही दाम नहीं मिला। डूंगरा लालू के वागजी पिता मेघजी ने परिवार के सभी सदस्यों के हिस्से में आया 70 क्विंटल कपास सीधे व्यापारी को बेचा। कालापान के पांगला पिता हकरु ने बताया कि 20 क्विंटल कपास के पर्याप्त पैसे नहीं मिले।
बोली लगाने के स्थान पर लोगों ने दुकान लगा लिए एवं यहां पर गाडिय़ां खड़ी की जा रही हैं। इससे यहां पर अब बोली लगना बंद हो गई। इसका नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है।
आग से हुआ था लाखों का नुकसान
मंडी में कपास खरीदने वाले व्यापारियों ने मुख्य दरवाजे तक कपास जमा रखा है। तीन वर्ष पहले शॉर्ट सर्किट की वजह से 4 से 5 व्यापारियों के कपास में अचानक आग लगने से इन व्यापारियों का लाखों का नुकसान हुआ था। इस बार मंडी में फायर ब्रिगेड की कोई व्यवस्था नहीं है। 3 वर्ष पहले तत्कालीन कलेक्टर आशीष सक्सेना ने झाबुआ मंडी में कपास में आग लगने के बाद फायर ब्रिगेड, पुलिस डायल 100, 108 सुविधाओं की भी व्यवस्था की थी। उनके यहां से जाने के बाद मंडी में बोली तक लगना बंद हो गई। मंडी में अनाज व्यापारियों के लिए बैठने की जगह पहले से ही पर्याप्त नहीं है। इसके बावजूद भी यहां 1 महीने से अज्ञात व्यक्ति द्वारा डीजे का वाहन खड़ा किया जा रहा है। व्यापारियों ने इसे वहां से हटाने की बात कही।
केके दिनकर, मंडी सचिव सीधी बात
१. पिछले 1 सालों से मंडी में बोली नहीं लग रही है। इससे किसानों को उचित दाम नहीं मिलने के कारण नुकसान हो
रहा है।
२्र. मंडी में इन दिनों कम किसान पहुंच रहे हैं । इसलिए बोली नहीं लगवा रहे हैं।
३. बोली लगने वाले स्थान पर वाहनों की पार्किंग एवं ठेला लगाकर व्यापार किया जा रहा है।्र. एसडीओ और हमने
मंडी में निरीक्षण कर अव्यवस्था देखी । व्यवस्था बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
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