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झाबुआ

मध्याह्न भोजन में बच्चों की थाली से खीर, पुलाव और कढ़ी पकौड़ा गायब

स्व-सहायता समूहों की मनमानी : अध्यापकों की नहीं सुनते स्व-सहायता समूह संचालक

झाबुआAug 20, 2022 / 01:58 am

binod singh

मध्याह्न भोजन में बच्चों की थाली से खीर, पुलाव और कढ़ी पकौड़ा गायब

मध्याह्न भोजन में बच्चों की थाली से खीर, पुलाव और कढ़ी पकौड़ा गायब

झाबुआ. शासकीय प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में बच्चों को मिल रहे मध्याह्न भोजन में मेन्यू व गुणवत्ता दोनों गायब है। दिलचस्प बात यह है कि इससे स्कूल से लेकर जिला अधिकारी तक वाकिफ हैं। बावजूद समूहों की मनमानी पर नकेल लगाने कोई कदम उठाने की हिम्मत नहीं कर रहा है। दरअसल जो स्वसहायता समूह संचालित हो रह हैं, इनके अध्यक्ष व सचिव को राजनीतिक नेताओं का सरंक्षण प्राप्त है। स्कूलों में बच्चों को प्रतिदिन तीन प्रकार के व्यंजन, जिसमें पुलाव व खीर और कढ़ी पकौड़ा शामिल है, दिया जाना है।
इसके बावजूद मध्याह्न भोजन में औपचारिकता में सिर्फ बच्चों को चावल व दाल के नाम पर सिर्फ पानी परोस रहे हैं। बताया जा रहा है कि प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को प्रधान मंत्री पूरक पोषण आहार प्रदान किया जाना है। इस योजना में जिले के 1 लाख 77 हजार बच्चों को प्रतिदिन भोजन प्रदान किया जाना है। इसके लिए 1051 स्व सहायता समूह 2407 स्कूलों में मध्याह्न भोजन बना रहे हैं। इसके तहत बच्चों को रुचिकर एवं पोषण देने वाला भोजन प्रदान किया जाना है। बावजूद बच्चों को मध्याह्न भोजन में सिर्फ औपचारिकता निभाई जा रही है। यही कारण है कि खुलेआम स्वसहायता समूह मेन्यू की धज्जियां उड़ा रहे हैं। यहां तक विशेष भोजन में भी छात्रों को मेन्यू अनुसार भोजन नहीं मिल रहा है। जनपद पंचायत राणापुर अंतर्गत ग्राम पंचायत जूनागांव में मध्याह्न भोजन में अब बच्चों को खीर की जगह मीठे चावल एवं पानी युक्त सब्जी परोसी गई थी।
इसी तरह पेटलवाद अंतर्गत ग्राम पंचायत करड़ावद के गांव ठीकरिया में बच्चों को मध्याह्न भोजन में सिर्फ चावल और दाल दिया जा रहा है। इसी तरह अन्य स्कूलों में मध्याह्न भोजन में चावल व दाल ही समूह पका रहे हैं। जबकि जिले में मध्याह्न भोजन गेहूं आधारित होने के कारण पूरी शामिल है।
समूह दे रहे हैं सिर्फ चावल, दाल
बताया जा रहा है कि मध्याह्न भोजन में समूह स्कूलों में सिर्फ चावल दाल या दाल की जगह आलू सब्जी परोस रहे हैं। स्कलों में बच्चों को रोटी, पुलाव एवं खीर और पराठा नहीं दिया जाता है। इस संबंध में स्कूलों के शिक्षकों का कहना है कि मध्याह्न भोजन बनता है, लेकिन मेन्यू का पालन नहीं होता है। इस संबंध में वह समूह संचालक को कहते भी हैं, लेकिन वह इसका पालन नहीं करते हैं। गुणवत्ता भी भोजन की सही नहीं रहती है।
बताया जा रहा है कि मध्याह्न भोजन की पूरी मॉनीटङ्क्षरग का जिम्मा बीआरसी और एपीसी को दिया गया है। इन्हें स्कूलों में प्रतिदिन मेन्यू के अनुसार मध्याह्न भोजन और शिक्षा की गुणवत्ता चेक करनी है, लेकिन यह घर बैठे समूहों की मॉनीटङ्क्षरग कर रहे हैं। यही कारण है कि मध्याह्न भोजन प्रदाय में काफी लापरवाही बरती जा रही है।

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