3 दिन बाद भी चमगादड़ों की मौत का कारण स्पष्ट नहीं, जांच रिपोर्ट का इंतजार
झाबुआPublished: May 16, 2022 11:15:39 pm
पारा 42 के पार , नहीं थम रहा मौत का सिलसिलाजान जोखिम में डाल शवों को हटा रहे लोग
3 दिन बाद भी चमगादड़ों की मौत का कारण स्पष्ट नहीं, जांच रिपोर्ट का इंतजार
झाबुआ. बढ़ता तापमान , हीट स्ट्रोक , डिहाइड्रेशन या कोई और वजह …. वार्ड 1 में सर्किट हाउस एवं इसके आसपास के क्षेत्रों में हुई चमगादड़ों की मौत का खुलासा 3 दिन बाद भी नहीं हुआ।बताया जा रहा है कि पिछले 7 दिन में 500 से अधिक चमगादड़ मर चुके हैं। प्रतिदिन 50 से 60 चमगादड़ मारे जा रहे हैं। इधर, तापमान लगातार 41 से 42 डिग्री बना हुआ है , बताया जा रहा है कि 40 डिग्री तापमान सहन नहीं करने की वजह से पक्षियों कि मौत हो जाती है, ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि जब तक तापमान 40 डिग्री से कम न हो इनकी मौतों का सिलसिला नहीं थमेगा, लेकिन ङ्क्षचता की बात तो यह है कि प्रशासनिक स्तर पर मरे हुए चमगादड़ को हटाने के लिए कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं।
इधर , प्रशासन ने 4 सदस्यों का दल गठित कर चमगादड़ की मौत का कारण स्पष्ट करने का आदेश दिया है।
उड़ते पक्षी बेसुध होकर गिर रहे
एक्सपर्ट की मानें तो 40 डिग्री तापमान में आसमान में उड़ते पक्षी बेसुध होकर जमीन पर गिरने लगते है, ऐसे में बहादुर सागर तालाब एवं मेहताजी के तालाब के आसपास के क्षेत्रों में चमगादड़ की मौत लगातार हो रही है , जिससे रहवासियों में हड़कंप मच गया है। पंडित मयंक त्रिवेदी ने बताया कि रोजाना 50 से अधिक चमगादड़ मारे जा रहे हैं। इन्हें नहीं हटाने से तीन चार दिन में 150 से अधिक चमगादड़ के शव मंदिर के आसपास जमा हो रहे हैं। मंदिर की छत भी चमगादड़ के शवों से भर गई है। भयंकर बदबू आ रही है। चमगादड़ के अंदर अनगिनत जंतू पाए जा रहे हैं, प्रतिदिन सफाई जरूरी है। मंदिर दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को भी संक्रमण फैलने का डर सता रहा है।
मृत चमगादड़ को हटाने के लिए कोई सार्थक उपाय नहीं किए जा रहे
वार्ड 1 और वार्ड 9 के निवासियों को संक्रमित होने का खतरा सता रहा है। स्थानीय रहवासी विजय , दीपक, राजेश, अर्जुन, कमल ने बताया कि गली के आवारा कुत्ते इन चमगादड़ को खा रहे हैं , कुत्तों के खाने के बाद चमगादड़ के अवशेष इन्हीं स्थानों पर बिखरे पड़े हैं। ये कुत्ते लोगों के संपर्क में आकर बीमारियां फैला सकते हैं। चमगादड़ से संक्रामक बीमारियों का खतरा भी है। निपाह वायरस उनमें से एक है। यह जानलेवा वायरस है। इंसानों के साथ यह जानवरों को भी लपेटे में ले सकता है।