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बिना शिक्षकों का है प्रदेश का एकमात्र इंजीनियरिंग कॉलेज

locationझाबुआPublished: Jul 19, 2018 05:16:26 pm

Submitted by:

amit mandloi

12 शिक्षकों की नियुक्ति राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विवि ने की समाप्त

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बिना शिक्षकों का है प्रदेश का एकमात्र इंजीनियरिंग कॉलेज

झाबुआ. प्रदेश का एक मात्र इंजीयिरिंग कॉलेज झाबुआ का है, जहां एक भी शिक्षक नहीं है। जिले के एकमात्र शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में पहले ही कई समस्याओं से छात्रों को जूझना पड़ रहा था। लेकिन शासन के तानाशाही रवैये के चलते अब इस कॉलेज में टीचिंग स्टाफ ही नहीं है। विद्यार्थियों के लिए नया सत्र 2 जुलाई से शुरू हो चुका है। लेकिन 16 दिन बीत जाने के बाद भी उनकी पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी है। इसका कारण है वर्तमान में उन्हें पढ़ाने के लिए यहां पर एक भी शिक्षक नियुक्त नहीं है। यहां पर पढ़ाने वाले 12 शिक्षकों की नियुक्ति राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भोपाल में 30 जून 2018 को समाप्त कर दी है। ऐसे में यहां 3 साल से संचालित होने वाला डॉ एपीजे अब्दुल कलाम यूआईटी कॉलेज मैं अब छात्रों को शिक्षा देने के लिए एक भी शिक्षक नहीं रह गया। शिक्षक नहीं होने से यहां पर रहे 120 छात्रों का भविष्य अंधकार में है। पूर्व में कार्यरत संविदा शिक्षकों की नियुक्ति रद्द कर विश्वविद्यालय द्वारा नई भर्ती चयन प्रक्रिया आरंभ करने की कोशिश की जा रही है। जिसे रोकने के लिए सभी शिक्षकों ने उच्च न्यायालय जबलपुर में न्याय की गुहार लगाई। शिक्षकों की समस्याओं को देखते हुए 2 जुलाई 2018 को न्यायालय द्वारा स्टे ऑर्डर देकर एपूर्व नियुक्त शिक्षकों को अपने कार्यस्थल पर ज्वाइन करने के लिए उच्चाधिकारियों को आदेशित किया गया था। इन सबके बाद भी अधिकारियों के तानाशाही रवैया से विद्यार्थियों और शिक्षकों दोनों का भविष्य अंधकार में है।
शिक्षकों की सेवा बहाल के दिए थे आदेश
समस्या को देखते हुए पंकज शर्मा उप सचिव तकनीकी शिक्षा कौशल विकास विभाग द्वारा राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विवि के कुलसचिव को एक पत्र के माध्यम से सहायक प्राध्यापक संविदा भोपाल से शिक्षकों की सेवा में पुन: बहाल करने के आदेश दिए थे। जिसेे नजरअंदाज कर दिया। जिन शिक्षकों की नियुक्ति रद्द की गई थी कोर्ट व उपसचिव के आदेश के बाद भी दोबारा नियुक्ति नहीं की गई । झाबुआ के साथ शहडोल व भोपाल में भी इंजीनियरिंग कॉलेज की शुरुआत की थी तीनों जगह 100 से ज्यादा संविदा पर अध्यापकों की सेवाएं खतरे में है।
इन समस्याओं से पहले से जूझ रहे हैं
इस कॉलेज के संदर्भ में पत्रिका द्वारा खबरें प्रकाशित कई बार शासन को नींद से जगाने की कोशिश की गई। इंजीनियरिंग कॉलेज की अपनी बिल्डिंग नहीं होने से पॉलिटेक्निक कॉलेज में कुछ अतिरिक्त कक्षाओं में इसकी पढ़ाई करवाई जा रही थी। करोड़ों की लागत से बनाए जा रहे डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम यूआईटी कॉलेज की बिल्डिंग निर्माणाधीन है। लैब सुविधा नहीं होने से यहां आए लाखों के उपकरण धूल खा रहे हैं। छात्रों के लिए आवासीय परिसर निर्माण न होने से कॉलेज के छात्रावास में इंजीनियरिंग कॉलेज के विद्यार्थियों को रखा जा रहा है।
फैसले का इंतजार कर रहे हैं
प्राध्यापकों की नियुक्ति यूनिवर्सिटी से कैंसिल हुई है । प्राध्यापकों के स्टे आर्डर पर कोर्ट में 26 जुलाई तारीख लगी हुई है। फैसले का इंतजार कर रहे हैं। उसके बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।
-डॉ केएस चंदेल, प्राचार्य डॉ एपीजे कलाम यूआईटी झाबुआ।
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