अंचल में भगोरिया के हाट का उत्साह चरम पर है। रविवार को संवेदनशील माने जाने वाले सोरवा व गुजरात की सीमा से लगे छकतला में भगोरिया हाट भराया। शुक्रवार से प्रारंभ हुए भगोरिया के अंतर्गत जिले में अनेक स्थानों पर भराए भगोरिया हाटों में ग्रामीण आदिवासियों की भारी भीड़ नजर आ रही है। इन हाटों में आधुनिकता भी हावी होती नजर आ रही है,लेकिन आदिवासी लोग संस्कृति का रंग भी बरकरार रखते हुए दिखाई दे रहे हंै। छकतला व सोरवा में भगोरिया के दौरान ग्रामीणों के साथ ही बड़ी संख्या में बाहर से आए अतिथियों व जन प्रतिनधियों का भी जमावड़ा लगा।
जिले में आयोजित होने वाले भगोरिया हाटों में छकतला का भगोरिया भी सर्वाधिक मशहूर है। गुजरात राज्य की सीमा से सटे होने के कारण यहां आयोजित होने वाले भगोरिया में अंचल की ठेठ लोक संस्कृति के साथ ही गुजराती परंपराओं की अदभूत झलक भी देखने को मिली है। यहां के भगोरिया में अंचल के साथ गुजरात के नवालझा, रेणदा, कवाट सहित अन्य ग्रामों से भी बड़ी संख्या में आदिवासीजन यहां आते है। दोनों संस्कृतियों का मिलन होने पर इस भगोरिया में उल्लास व उमंग का अलग ही रंग देखने को मिला।
दोनों ही स्थानों पर दोपहर 12 बजे पश्चात जैसे-जैसे आदिवासियों की टोलियां भगोरिये की मस्ती में चुर होकर ढोल-मांदल व बासुंरी की धुन जगह-जगह थिरकने लगी वैसे-वैसे भगोरिया का रंग परवान चढऩे लगा। ग्रामों से आई टोलियां ने प्रमुख स्थानों पर पांरपारिक आदिवासी लोक नृत्य की प्रस्तुतियां दी जिसे हजारों ने मंत्रमुग्ध होकर निहारा। नृत्य के दौरान युवाओं ने वाद्ययंत्रों की धूनों पर जमकर कुर्र….कुर्र…. कुर्राटियां भी लगाई। उल्लेखनीय है कि भगोरियां में नृत्य के समाज आदिवासीजनों द्वारा लगाई जाने वाली कुर्राटियां बाहर से आने वाले लोगों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र होती है।