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स्वयं सहायता समूहों को आर्थिक रूप से समृद्व करने खुलवाई दुकानें

locationझाबुआPublished: Jan 17, 2020 06:04:42 pm

Submitted by:

kashiram jatav

– स्थानीय लोगों के अतिरिक्त गुजरात व आसपास के राज्य से गुजरने वाले यात्रियों, पर्यटकों को जिले में निर्मित सामग्री को खरीदने की सुविधा उपलब्ध

स्वयं सहायता समूहों को आर्थिक रूप से समृद्व करने खुलवाई दुकानें

स्वयं सहायता समूहों को आर्थिक रूप से समृद्व करने खुलवाई दुकानें

झाबुआ. कलेक्टर कार्यालय के समीप आदर्श रोड पर स्थापित आजीविका परियोजना के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित सामग्री की दुकानों खोली गई हैं। इस स्थान पर स्थानीय लोगों के अतिरिक्त गुजरात व आस पास के राज्य से गुजरने वाले यात्रियों, पर्यटकों को जिले में निर्मित सामग्री को खरीदने की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। पद्मश्री महेश शर्मा ने दुकान से सामग्री खरीदी एवं तारीफ की। कलेक्टर प्रबल सिपाहा ने स्वयं सहायता समूहों को आर्थिक रूप से समृद्व करने एवं अपनी सामग्री के निर्माण पश्चात विक्रय में आने वाली समस्या का समाधान करने के लिए इन दुकानों पर प्रशिक्षण व विक्रय केन्द्र की सभी सुविधा उपलब्ध कराई है।
आदिवासी गुडिया-
झाबुआ जिले की पहचान आदिवासी गुडिया समूह की महिलाओं द्वारा बेची जाती है। यह गुडिय़ा देखने में आकर्षण एवं झाबुआ जिले की पहचान कराती है।

अगरबत्ती कच्ची एवं सेन्टेड-
समूह द्वारा अगरबत्ती का उत्पादन एवं पैकजिंग का कार्य किया जाता है। अगरबत्ती में चंदन, मोगरा, गुलाब आदि की खुशबु में उपलब्ध है।
मोती की माला-
मोती से बनी हुई विभिन्न प्रकार की मालाएं समूह की महिलाओं द्वारा बनाई जाती है। यह मालाएं शादियो के सीजन में अधिक से अधिक उपयोग की जाती है। मालाएं विभिन्न प्रकार के रंग एवं साइज की महिलाओ द्वारा उपलब्ध कराई जाती है।
आदिवासी तीर कमान-
जिले की पहचान आदिवासी तीर कमान समूह की महिलाओं द्वारा बेचा जाता है। यह तीर कमान भगोरिया पर्व पर विशेष रूप से आदिवासी समूदाय द्वारा क्रय किया जाता है। प्राचीन काल में आदिवासी समुदाय इसका उपयोग अपनी आत्मरक्षा एवं शिकार के लिए करते थे।
कपड़े के लेडीज पर्स-
समूह की महिलाओं द्वारा कपड़े से बने हुए छोटे लेडिज पर्स एवं हैंड पर्स बनाए जाते हैं। यह पर्स विभिन्न प्रकार के रंग एवं साइज में उपलब्ध है। इन कपड़े के पर्स के उपयोग से पर्यावरण को किसी भी प्रकार की हानि नहीं होती।
कपड़े का बैग-
कपड़े के थैले, कपड़े के पर्स आदि की सिलाई समूह की महिलाओं द्वारा की जाती है। कपड़े से निर्मित उत्पाद विभिन्न कलर, साइज, डिजाइन आदि में समूह द्वारा उपलब्ध कराए जाते हैं। कपड़े के बैग के उपयोग से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचा जा सकता।
मिट्टी के बर्तन-घरेलू सामान-
दिन प्रतिदिन पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयास लोगों द्वारा किए जा रहे हैं। इसी क्रम में समूह की महिलाओं द्वारा मिट्टी के बर्तन का इस्तेमाल किया जा रहा है। मिट्टी के बर्तन आदि में डिनर सेट, मिट्टी के मटके, तवा, तपेली, मिट्टी के केम्पर-डिब्बे, मिट्टी के गमले एवं दीए, पानी पीने के लिए गिलास एवं जग आदि उपलब्ध है। मिट्टी के बने हुए बर्तनो में खाना पकाने व खाने से भोजन स्वादिष्ट, गुणवत्ता युक्त हो जाता है।
पेपर बैग-लिफाफे-
शासन द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक को बंद करवाया जा रहा है एवं पेपर के बने हुए बैग एवं थेले आदि का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

सेनेटरी नेपकीन-
महिलाओ के स्वास्थ्य की सुरक्षा की दृष्टि से सेनेटरी नेपकीन का बनाने का कार्य समूह की महिलाओं द्वारा प्रारंभ किया गया है। साथ ही समूह की महिलाओं द्वारा स्वास्थ्य जागरूकता एवं सेनेटरी नेपकीन के इस्तेमाल के लिए लगातार महिलाओं को प्रेरित किया जाता है। नेपकीन के पैकेटर्स समूह की महिलाओं द्वारा अन्य महिलाओं को उपलब्ध कराए जाते हैं। ताकि विभिन्न प्रकार की बीमारियों से सुरक्षा हो सके।
आदिवासी झुलड़ी(ट्रायबल जैकेट)-
झाबुआ जिले की पहचान आदिवासी झुलड़ी समूह की महिलाओं द्वारा बेचा जा रहा है। यह आदिवासी झुलड़ी देखने में आकर्षक एवं झाबुआ जिले की पहचान करवाती हैं एवं साथ ही होली के भगोरिया पर्व पर अधिक से अधिक इस्तेमाल किया जाता है।

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