शहर की छतें पतंगबाजों से गुलजार रही। डीजे पर बजते संगीत और काटा है की आवाज ने संक्रांति के उत्साह को बयां किया। लोगों ने दान-पुण्य की रस्म भी निभाई। सोमवार से बाजार में पर्व का उत्साह नजर आ रहा था। पतंगबाजी के शौकीन आजाद चौक, मुख्य बाजार व बस स्टैंड क्षेत्र में पतंग खरीदने के साथ मांजा सुतवा रहे थे। अधिकांश युवाओं ने रात में पतंग की तैयारी कर ली थी। मंगलवार को सुबह से काटा है की आवाज गूंजने लगी। दिन चढऩे के साथ पतंगबाजों का उत्साह चढ़ता गया। हवा की रफ्तार पतंगबाजों के अनुकुल रहने से आसमान पूरे दिन रंग-बिरंगा रहा। लोगों ने परंपरा अनुसार तिल का उबटन लगाकर स्नान किया।
गली-मोहल्लों में चला गिल्ली डंडे का दौर
मंगलवार को गली मोहल्लों में दिनभर गिल्ली-डंडे का दौर चला। युवाओं की टोलियां टीम बनाकर गिल्ली-डंडे खेलते नजर आई। पुरुषों के साथ महिलाओं और युवतियों ने भी खेल का लुत्फ उठाया।
संक्रांति पर पशुओं को चारा खिलाने का महत्व है। लिहाजा राजबाड़ा चौक, आजाद चौक, बस स्टैंड पर लोगों ने मवेशियों को चारा खिलाया गया। कुछ लोगों ने हरे चने भी खिलाए। लोगों ने गरीबों को कपड़े और खाना दिया।