आकाश में अठखेलियां करती दिखी दक्षिण-पूर्व यूरोप और सेंट्रल एशिया की प्रवासी पक्षी गुलाबी मैना
नभ में दिखी दक्षिण पूर्व यूरोप और सेंट्रल एशिया के प्रवासी गुलाबी मैना की अठखेलियां, यह पक्षी जुलाई-अगस्त में हजारों किमी का सफर तय कर भारत आते हैं। और अप्रैल में अपने देश लौटते है

झाबुआ. पक्षी प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है कि दक्षिण पूर्व यूरोप और सेंट्रल एशिया से आए प्रवासी पक्षी गुलाबी मैना की अठखेलियां झाबुआ के आकाश में नजर आईं हैं। ये पक्षी जुलाई-अगस्त में हजारों किमी का सफर तय कर भारत आते हैं और अप्रैल में लौटने लगते हैं। भारत में ये भोजन के लिए आते हैं। 500-1000 के झुंड में जब ये पक्षी आकाश में एक साथ अलग आकृतियां बनाते है तो इन्हें देखना अदभुत होता है। दुनिया में इस तरह का करतब सिर्फ यही पक्षी दिखा पाता है।
आश्चर्य की बात ये है कि इतने बड़े समूह में होने के बावजूद गुलाबी मैना आसमान में इस तरह की आकृतियां कैसे बना लेती हैं। इनके समूह में कौन सा पक्षी इनका मार्गदर्शक होता है। ये आपस में टकराते क्यों नहीं। इतनी तेज गति से यह कार्य दूसरे पक्षी क्यों नहीं कर पाते। ये ऐसी ही आकृति क्यों बनाते हैं। इन सब सवालों के बीच गुलाबी मैना की अठखेलियां देखना अपने आप में बेहद सुन्दर दृश्य होता है। पक्षी विशेषज्ञ चौहान ने बताया गुलाबी मैना चंचल, सामाजिक, आकर्षक और किसान मित्र पक्षी है। भारत में इनका प्रवास 6 से 8 माह तक का होता है। झाबुआ में ये मार्च तक रहेंगे। इन पक्षियों का प्रमुख भोजन पीपल, गूलर, बरगद आदि के फल है। इसके अलावा ये टिड्डियां और कीट पतंगों को खाकर किसान को लाभ पहुंचाते हैै।
स्टर्नरस रोजियस है वैज्ञानिक नाम
पक्षी विशेषज्ञ लोकेंद्र सिंह चौहान के अनुसार गुलाबी मैना का वैज्ञानिक नाम स्टर्नरस रोजियस है। अंग्रेजी नाम रोजी स्टर्लिंग है। वहीं हिंदी नाम गुलाबी मैना व गुलाबी सारिका है। वसंत ऋतु आते ही आसमान में इनकी अठखेलियां शबाब पर होती है। इनका बादल की तरह आकृति बनाना, तेज गति से मुडऩा, झुलाकार नीचे उतरना, लहर दार उडऩा हर किसी को रोमांचित और आकर्षित कर देता है। शाम होते ही उनकी गतिविधियां दिखाई देती है। सामान्यतया ये पक्षी 500 से 1000 के झुंड में उड़ते हैं। पक्षी वैज्ञानिकों का मानना है कि यह इनका शक्ति प्रदर्शन होता है। इस तरह से ये आसपास के शिकारी पक्षियों से सुरक्षित रहते हैं। इन पक्षियों का प्रमुख भोजन पीपल, गूलर, बरगद आदि के फल है। इसके अलावा ये टिड्डियां और कीट पतंगों को खाकर किसान को लाभ पहुंचाते हैं।
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