झाबुआ. ऋषभदेव बावन जिनालय में आचार्य विजय ऋषभचंद्र सूरिश्वर की पावन निश्रा में सिद्धी-तप की तपस्या चल रही है। इसमें करीब 60 से अधिक श्रावक-श्राविकाएं शामिल होकर तप की आराधना में लीन हैं। इसके साथ ही शंखेश्वर पाश्र्वनाथजी की दिनदिवसीय अट्ठम तप की आराधना करीब 45 आराधक कर रहे हैं। मंगलवार को सिद्धी तप की बेले की तपस्या का पारणा बीयासना का लाभ मनोजकुमार जैन परिवार ने लिया।
मंगलवार को प्रवचन में शंखेश्वर पाश्र्वनाथ स्वामी के जीवन चरित्र को समझाते हुए आचार्यश्री ऋषभचंद्र सूरिश्वर ने कहा कि उनकी महिमा का बखान तीनों लोकों में बड़ी श्रद्धा से किया जाता है। वे पुरुषादानी पाश्र्वनाथ के नाम से बहुत विख्यात हंै। उनके अभिषेक के जल से आधि-व्याधि दूर हो जाती है एवं प्रभु की पूजन करने से सभी मनोवांछित कार्य निर्विघ्नता से पूर्ण हो जाते हंै। प्रभुजी के जाप एवं अट्ठम तप की तपस्या इस लोक एवं परलोक में आत्म शांति प्रदायक बनती है और निर्मल आत्म भाव से मोक्ष मार्ग प्रशस्त हो जाते हंै।
पाश्र्वनाथ तीर्थ का वर्णन करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि शंखेश्वर पाश्र्वनाथ में यह प्रतिमा पूर्व काल के असाड़ी श्रावक द्वारा भराई और पूजाई गई। मुनि रजतचंद्र विजय ने कहा कि जब जीवों में आत्मानुत्थान और प्रसम रस के भाव की जागृति होती है तो वह तीर्थंकर नाम कर्म का उपार्जन कर लेते हैं। सभी जीवों की सुख की कामना और धर्म में सभी जीव लग जाए। ऐसा आत्म भावना रखने वाला व्यक्ति आत्मोन्नति के मार्ग की ओर प्रशस्त हो जाता है। मुनिश्री ने नल दमयंती का चरित्र वर्णन करते हुए बताया कि धर्म से ओत-प्रोत दमयंती सती को देवों ने प्रसन्न होकर भगवान शांतिनाथ की प्रतिमा प्रदान की थी।
महामांगलिक 23 को
श्री संघ अध्यक्ष धर्मचंद मेहता ने बताया कि आचार्यश्री की आगामी महा मांगलिक 23 जुलाई को श्यामूबाई पति रतनलाल रूनवाल परिवार की ओर से होगी। धर्मसभा से पूर्व मांगलिक धर्मचंद मेहता ने करवाई। धर्म सभा का संचालन चातुर्मास समिति के अध्यक्ष संजय कांठी ने किया। आभार संरक्षक संतोष जैन ने माना। श्री संघ के रिंकू रूनवाल ने बताया कि साध्वी रत्नरेखा श्रीजी आदि ठाणा द्वारा चातुर्मास के तहत प्रतिदिन 2 से 3 बजे समाज के महिला-पुरुषों को दैनिक जीवन में बरती जाने वाली सावधानी के बारे में जानकारी देने के साथ ही, किस तरह का जीवन जिया जाए, इसके गुर सिखाए जा रहे हैं। मंगलवार को आचार्य श्रीजी के दर्शन के लिए इंदौर, देवास, उज्जैन एवं खंडवा से श्रीसंघ के पदाधिकारी एवं सदस्य पधारे एवं धर्म चर्चा की।