पंडित कमल किशोर नागर ने कहा कि आजकल लोग तुलसी की माला गले में पहनने पर परहेज करते हैं। जबकि दूसरी चीजें अपने गले में धारण कर लेते हैं। क्योंकि वह उनकी शोभा बढ़ाती। जबकि होना यह चाहिए कि गले में तुलसी की माला पहने हुई रहती है तो कई खतरों को टाला जा सकता है। मौत तो निश्चित ही है, लेकिन ऊपर वाले से यह कामना करनी चाहिए कि मुझे सदबुद्धि देना, ताकि अंतिम समय में प्रभु का नाम जब सकूं। उन्होंने कहा कि घर आंगन में तुलसी का पौधा बहुत जरूरी है। अगर तुलसी का पौधा है तो यम भी उस घर आंगन में नहीं आते हैं। इसलिए अपने घर आंगन में तुलसी का पौधा लगाना चाहिए। वही क्षेत्र के आदिवासी भाइयों से कहा कि चाहे कितना भी लोग तुम्हें पैसा दें कभी भी धर्म परिवर्तन मत करना। हमेशा प्रभु के संपर्क में रहना चाहिए। प्रतिदिन भगवान के प्रति माला व भजन करना चाहिए। ताकि प्रभु की कृपा हमेशा अपने पर बनी रहे। पूरा पंडाल आज कृष्ण जन्मोत्सव मनाने के लिए खचाखच भरा था। जब भगवान कृष्ण के जन्म उत्सव मनाया जा रहा था तो आसमान पर बादल भी काले काले हो गए थे। ऐसा लग रहा था कि भगवान की कृपा हो गई हो सभी नाच गान कर रहे थे भजनों पर थिरकते नजर आ रहे थे। वही भोजनशाला में भी सेवा दे आसपास के ग्रामीण इस इस गाव के श्रद्धालु दे रहे सेवा पिछड़ी बरबेट, बावड़ी, जामली, देवली, रायपुरिया, बेकलदा, पांचपिपलिया के एवम् कई ग्रामीण क्षेत्र से लोग इस आयोजन सेवा दे रहे हैं।
कई खतरों को टाला जा सकता है। मौत तो निश्चित ही है, लेकिन ऊपर वाले से यह कामना करनी चाहिए कि मुझे सदबुद्धि देना, ताकि अंतिम समय में प्रभु का नाम जब सकूं। उन्होंने कहा कि घर आंगन में तुलसी का पौधा बहुत जरूरी है। अगर तुलसी का पौधा है तो यम भी उस घर आंगन में नहीं आते हैं। इसलिए अपने घर आंगन में तुलसी का पौधा लगाना चाहिए। वही क्षेत्र के आदिवासी भाइयों से कहा कि चाहे कितना भी लोग तुम्हें पैसा दें कभी भी धर्म परिवर्तन मत करना। हमेशा प्रभु के संपर्क में रहना चाहिए। प्रतिदिन भगवान के प्रति माला व भजन करना चाहिए। ताकि प्रभु की कृपा हमेशा अपने पर बनी रहे। पूरा पंडाल आज कृष्ण जन्मोत्सव मनाने के लिए खचाखच भरा था। जब भगवान कृष्ण के जन्म उत्सव मनाया जा रहा था तो आसमान पर बादल भी काले काले हो गए थे। ऐसा लग रहा था कि भगवान की कृपा हो गई हो सभी नाच गान कर रहे थे भजनों पर थिरकते नजर आ रहे थे। वही भोजनशाला में भी सेवा दे आसपास के ग्रामीण इस इस गाव के श्रद्धालु दे रहे सेवा पिछड़ी बरबेट, बावड़ी, जामली, देवली, रायपुरिया, बेकलदा, पांचपिपलिया के एवम् कई ग्रामीण क्षेत्र से लोग इस आयोजन सेवा दे रहे हैं।