झाबुआ. शीत ऋतु के आगमन के साथ ही रात का तापमान लगातार कम होता जा रहा है। इससे वातावरण में ठंडक घुलने लगी है। अंचल में सूर्योदय से पहले वातावरण में छाई ओस की बूंदों से सूरज की पहली किरण जब गुजरती है तो प्राकृतिक श्रृंगार का मनमोहक दृश्य दिखाई दे रहा है। यह नजारा हर किसी को अपनी मोहित कर रहा है। सोमवार को ऐसा नजारा देखने को मिला।
गेहूं: गेहूं की बोवनी का यह उचित समय है। प्रति एकड़ में 40 किलो बीज लगाएं। किसान शीघ्र बोवनी व दो सिंचाईवाली किस्म एचडी-2004, एच ाई-1500 अ ौर एचडी-1531 लगा सकते हैं। वहीं चार सिंचाई वाली किस्म एच ाई-8 498 , एच ाई-1418 व एचआई-1544 भी लगाई जा सकती है। जिसके पास सिंचाई के पर्याप्त साधन है वे 6 सिंचाई वाली किस्म जीडब्ल्यू-322 व जीडब्ल्यू-36 6 की बोवनी करें।
चना: खेत में मौजूद नमी को देखते हुए किसान उपयुक्त किस्म जेजी-16 , जेजी-130, जेजी-218 , जाकी-9218 , आरवीजी-201, आरवीजी-202 और आरवीजी-203 किस्म लगा सकते हैं।
1. जम्मू-कश्मीर में होने वाली बर्फबारी: जब वहां बर्फबारी होती है और हवा का रुख उत्तर-पश्चिमी रहता है तो तापमान में कमी ाती है। भी बर्फबारी हुई है और हवा का रुख भी उत्तरी है। ऐसे में रात के साथ-साथ दिन के तापमान में भी कमी आएगी।
2. मावठा: ठंड के दौरान होने वाली बारिश को मावठा कहा जाता है। इससे तापमान में चानक कमी ाती है। यह रबी की फसलों के लिए फायदेमंद रहता है।
3. उत्तर भारत के तापमान का असर: जब उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ती है तो उसका सर हमारे यहां भी महसूस होता है। मूमन यह स्थिति दिसंबर माह में बनती है।
&वेस्टर्न डिस्टरबेंस बनने के कारण कश्मीर में बर्फबारी हो रही है। हवा का रुख उत्तरी है। ऐसे में आगामी दिनों में निश्चित तौर पर वातावरण में ठंडक बढ़ जाएगी। तापमान में भी धीरे-धीरे कमी आएगी।
– डॉ. आरके त्रिपाठी, मौसम वैज्ञानिक, झाबुआ