scriptपानी पीने से फैल रही ऐसी बीमारी, लोगों को जवानी से पहले आ रहा बुढ़ापा | Such a disease spreading, old age coming before youth | Patrika News

पानी पीने से फैल रही ऐसी बीमारी, लोगों को जवानी से पहले आ रहा बुढ़ापा

locationझाबुआPublished: Mar 05, 2022 04:25:00 pm

Submitted by:

Subodh Tripathi

766 गांवों में फ्लोराइड युक्त पानी पीने से लोग फ्लोरोसिस, एनिमिया सहित हड्डी रोग से संबंधित कई गंभीर बीमारियों के चपेट में आ चुके हैं।

पानी पीने से फैल रही ऐसी बीमारी, लोगों को जवानी से पहले आ रहा बुढ़ापा

पानी पीने से फैल रही ऐसी बीमारी, लोगों को जवानी से पहले आ रहा बुढ़ापा

झाबुआ. मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में सैंकड़ों गांव के हजारों लोगों को ऐसा पानी नसीब हो रहा है, जिससे बचपन से ही उन्हें कई बीमारियां घेर रही है, इन बीमारियों की चपेट में आने से यहां के बच्चे जवान होने की अपेक्षा बूढ़े नजर आते हैं, क्योंकि यहां के पानी के लगातार सेवन करने से उन्हें पाइरिया से लेकर हड्डी कमजोर होना, हाथ पैर टेड़े होने सहित कई ऐसी बीमारियां हो रही है, जिससे उनके शरीर का पूरा विकास ही रूक जाता है।

 

आदिवासी जिला झाबुआ में फ्लोराइड युक्त जल काफी गंभीर समस्या है। सरकार के लाख दावों के बावजूद आजादी के 75 साल के बाद भी यहां के लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं। प्रशासन द्वारा जमीनी स्तर पर काम करने के बजाय इस मामले में खानापूर्ति का नतीजा है कि आज भी जिले के सभी 6 ब्लॉक के 766 गांवों में फ्लोराइड युक्त पानी पीने से लोग फ्लोरोसिस, एनिमिया सहित हड्डी रोग से संबंधित कई गंभीर बीमारियों के चपेट में आ चुके हैं। फ्लोराइड युक्त पानी न केवल इंसानों के लिए जब पशुओं और फसलों के लिए भी घातक है।

केस 1.
मेघनगर ब्लॉक के गुंदीपाड़ा में रहने वाली अंकिता अनिल मेडा 4 वर्ष की है, इसके पैरों में टेढ़ापन है। सरपट दौडऩे की उम्र में फ्लोराइड ने जकड़ लिया है। घर के पास लगे हैंडपंप में हाइफ्लोराइड की मात्रा है। इस पानी को पीने से अंकिता को फ्लोरोसिस हो गया है। अंकिता के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। जिले में काम नहीं मिलने के कारण पूरा परिवार पलायन पर रहता है। पीथनपुर निवासी काली एवं भूरी बिलवाल दोनों चचेरी बहन ।

केस 2.
भूरी के माता-पिता को पोलियो है। भूरी एवं काली के पैर फ्लोराइड युक्त पानी पीने से टेढ़े हो गए हैं। धावलिया की वंती पारू डामोर एवं शिवा भी इस बीमारी की चपेट में हैं। मासूमों से उनका बचपन सिर्फ इस वजह से छिन गया कि सरकार उन तक शुद्ध पेयजल नहीं पहुंचा सकी है। पेयजल पहुंचाना तो दूर फ्लोराइड युक्त पानी ना पीने के लिए लोगों में जागरूकता भी नहीं दिखाई देती। विभाग को फ्लोराइड युक्त गांव को चिह्नित कर गांव के सभी लोगों को इस बीमारी के संबंध में जागरूक करने की आवश्यकता है। फिलहाल सभी जिम्मेदार शासन की योजनाओं का हवाला देकर फ्लोराइड पर नियंत्रण पाने का दावा कर रहे हैं। लेकिन धरातल पर जिले में पोस्ट खाली है, 4 जिलों में एक कंसलटेंट है।

 

पानी पीने से फैल रही ऐसी बीमारी, लोगों को जवानी से पहले आ रहा बुढ़ापा
आसपास के कई जिले आए चपेट में
धार, झाबुआ, आलीराजपुर और रतलाम को मिलाकर कुल 1484 गांव फ्लोरोसिस की चपेट में है। इसमें धार और झाबुआ की स्थिति ज्यादा गंभीर है। धार जिले में 802 गांव एवं झाबुआ में 680 गांव में फ्लॉरोसिस की पुष्टि हुई है। झाबुआ व अलीराजपुर जिले जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में जहां अधिक फ्लोराइड पाया जाता है वहां पर लोगों में कई लक्षण देखने को मिल रहे हैं, जैसे कि स्केलेटल फ्लोरोसिस डेंटल फ्लोरोसिस और नॉन स्केलेटल फ्लोरोसिस की समस्याओं से लोग जूझ रहे हैं।
पानी पीने से फैल रही ऐसी बीमारी, लोगों को जवानी से पहले आ रहा बुढ़ापा
766 गांव के लोग पानी से परेशान

आजादी के 75 साल गुजर जाने के बावजूद जिले में आज भी लाखों लोग पीने के लिए शुद्ध पानी को तरस रहे है। अशुद्ध फ्लोराइड युक्त पानी पीकर लोगों को फ्लोरोसिस हो रहा है। जिले भर में पानी में फ्लोराइड की मात्रा हद से अधिक चिंताजनक है। यही कारण है कि लगभग 766 गांव के बच्चे सरपट दौडऩे की उम्र में अपने पैरों पर खड़े भी नहीं हो पा रहे हैं। आंकड़े कहते हैं फ्लोराइड से प्रभावित इस पूरे जिले के 766 गांव में पानी पीने योग्य नहीं है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने 1.5 पीपीएम पानी को पीने योग्य घोषित किया है, लेकिन जिले में परीक्षण के दौरान कहीं 9 पीपीएम तो कहीं 11 पीपीएम फ्लोराइड की मात्रा भी पानी में मिली है।
यह भी पढ़ें : पटरी से उतरी ट्रेन, एसी कोच पर चढ़ा जनरल डिब्बा, गैस कटर की मदद से बाहर निकाले यात्री

पानी पीने से फैल रही ऐसी बीमारी, लोगों को जवानी से पहले आ रहा बुढ़ापा
फ्लोराइड प्रभावित गांव जसोदा खुमजी व मियाटी में प्रायोगिक तौर पर ग्रामीणों को दिए गए मटके बेहतर नतीजे बनकर आए फ्लोराइड पानी शुद्ध सबसे सस्ती तक नीक इनरेम फाउंडेशन ने ईजात की है। पिछले कुछ वर्षों से इस फाउंडेशन ने झाबुआ के सैकड़ों बच्चों का जीवन खुशहाल बनाया है। इनरेम फाउंडेशन आनंद गुजरात की संस्था हैं। संस्था ने जिले में स्केलेटल फ्लिरोसिस के मरीजों को फार्मा सप्लीमेंट न्यूट्रिशन एसेफसोर्स के लिए घरेलू स्तर पर फ्लोराइड फ्री फिल्टर और समय-समय पर मॉनिटरिंग करके बच्चों को सामने रिकवर किया।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो